18 अगस्त को मनाई जायेगी कृष्ण जन्माष्टमी
18 अगस्त की रात में 8:42 तक वृद्धि योग रहेगा। इसके बाद ध्रुव योग शुरू होगा, जो 19 अगस्त को रात 8:59 मिनट तक रहने वाला है। हिंदू धर्म में ये योग बेहद खास माने गए हैं। इस योग में किए गए कार्यों का परिणाम शुभ होता है।
हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस दिन लोग व्रत रखकर और बिना व्रत के भी बड़े उल्लास के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। इस बार 18 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि 18 अगस्त को भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी की तिथि रात में करीब 9:22 बजे शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानी 19 अगस्त की रात्रि 10:59 मिनट तक रहेगी। ऐसे में वैष्णव मत और स्मार्त मत को मानने वाले लोग अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाएंगे। इस बार जन्माष्टमी 18 अगस्त के दिन ध्रुव और वृद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है। 18 अगस्त की रात में 8:42 तक वृद्धि योग रहेगा। इसके बाद ध्रुव योग शुरू होगा, जो 19 अगस्त को रात 8:59 मिनट तक रहने वाला है। हिंदू धर्म में ये योग बेहद खास माने गए हैं। इस योग में किए गए कार्यों का परिणाम शुभ होता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 18 अगस्त को शाम 9: 20 मिनट से प्रारंभ होगी और 19 अगस्त को रात 10: 59 मिनट पर समाप्त होगी। निशीथ पूजा 18 अगस्त की रात 12:03 मिनट से लेकर 12:47 मिनट तक रहेगी। निशीथ पूजा की कुल अवधि 44 मिनट की होगी। पारण 19 अगस्त को सुबह 5: 52 मिनट के बाद होगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष जन्माष्टमी की तिथि को लेकर काफी मतभेद है। कोई 18 अगस्त तो कोई 19 अगस्त को जन्माष्टमी होने का दावा कर रहा है। कुछ विद्वानों का मत है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रात 12 बजे हुआ था तो ये योग 18 अगस्त को बन रहा है। जबकि कुछ का मानना है कि 19 अगस्त को पूरे दिन अष्टमी तिथि रहेगी और इसी तिथि में सूर्योदय भी होगा। इसलिए जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाई जाएगी। लेकिन धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रात 12 बजे हुआ था। इसलिए यह त्योहार 18 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
दो दिन जन्माष्टमी
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि वैष्णव और स्मार्त दोनों तिथियों के अनुसार जन्माष्टमी का उत्सव मनाते हैं। जन्माष्टमी की तिथि सामान्य होने पर स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय एक ही दिन जन्माष्टमी मनाते हैं। वहीं, अलग-अलग तिथि होने पर अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है, जिसमें पहले स्मार्त और दूसरी तारीख को वैष्णव संप्रदाय मनाते हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों में इसका विशेष उल्लेख है। ’अर्द्धरात्रे तु रोहिण्यां यदा कृष्णाष्टमी भवेत्। तस्यामभ्यर्चनं शौरिहन्ति पापों त्रिजन्मजम्।’अर्थात सोमवार में अष्टमी तिथि, जन्म समय पर रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एवं जन्मोत्सव मनाने वाले श्रद्धालुओं के तीन जन्म के पाप समूल नष्ट हो जाते हैं और ऐसा योग शत्रुओं का दमन करने वाला है। निर्णय सिंधु में भी एक श्लोक आता है-’त्रेतायां द्वापरे चैव राजन् कृतयुगे तथा। रोहिणी सहितं चेयं विद्वद्भि: समुपपोषिता।।’ अर्थात हे राजन्, त्रेता युग, द्वापर युग, सतयुग में रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी तिथि में ही विद्वानों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उपवास किया था इसीलिए कलयुग में भी इसी प्रकार उत्तम योग माना जाए। ऐसा योग विद्वानों और श्रद्धालुओं को अच्छी प्रकार से पोषित करने वाला योग होता है।
शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी तिथि: गुरुवार 18 अगस्त 2022
अष्टमी तिथि का आरंभ: गुरुवार 18 अगस्त, रात्रि 09:22 मिनट से
अष्टमी तिथि का समाप्त: शुक्रवार 19 अगस्त, रात्रि 10:59 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त 12: 05 मिनट से 12:56 मिनट तक