दुर्लभ संयोग में आ रही है शारदीय नवरात्रि, शुभ संयोग में मनाई जाएगी शारदीय नवरात्रि ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास से जानें
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है। जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है। शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। नवरात्रि की शुरुआत 26 सितंबर से होगी। इस बार नवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर – जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शारदीय नवरात्रि शुक्ल और ब्रह्म योग से शुरू होगी। 26 सितंबर की सुबह 8.06 मिनट से ब्रह्म योग लगेगा, जो 27 सितंबर की सुबह 6.44 मिनट पर समाप्त होगा। शुक्ल योग का आरंभ 25 सितंबर को सुबह 9.06 मिनट से अगले दिन सुबह 8.06 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शारदीय नवरात्रि में दोनों योग अतिदुर्लभ है। इससे जातकों के जीवन में सुख-समृद्धि आएगी। इस साल शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से आरंभ होंगे और इसका समापन 5 अक्टूबर को दशहरे को होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार भक्तों को पूरे 9 दिन मां भगवती के व्रत करने को मिलेंगे। जब नवरात्र पूरे दिन 9 दिन का होता है तो यह बहुत ही शुभ संयोग माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शारदीय नवरात्र का आरंभ इस बार 26 सितंबर से हो रहा है और समापन 5 अक्टूबर को दशहरे के साथ हो जाएगा। 4 अक्टूबर को नवमी की पूजा होगी। अबकी बार नवरात्र पर ऐसा संयोग बना है कि जो कि बहुत खास और शुभ माना जाता है। इस बार नवरात्र पूरे 9 दिन का होगा। नवरात्र की एक भी तिथि का क्षय नहीं होगा और दसवें दिन दशहरा मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि जब भक्तों को पूरे दिन 9 दिन तक नवरात्र की पूजा करने को मिलती है तो यह मानव जाति के कल्याण की दृष्टि से बेहद उत्तम माना जाता है। इसके अलावा नवरात्र के 9 दिनों में कई अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं।
शुभ योग में नवरात्रि का आरंभ
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस बार 26 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग के साथ नवरात्रि का आरंभ हो रहा हे। ये दोनों ही योग धन वृद्धि और कार्य सिद्धि की दृष्टि से बहुत ही खास माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन शुभ योग में की गई कोई भी पूजा और अनुष्ठान बिना किसी बाधा के पूर्ण होते हैं और सर्वश्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में मां की पूजा होने से आपके घर धन-धान्य से भरे रहेंगे और आपको कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी।
30 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि 30 सितंबर को नवरात्र की पंचमी तिथि होगी और इस दिन भी सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में पंचमी की यानी स्कंद माता की पूजा की जाएगी। स्कंद माता को स्वामी कार्तिकेय की माता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त स्कंद माता की पूजा करते हैं उनकी संतान को सदैव सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। सर्वार्थ सिद्धि योग में स्कंद माता की पूजा करने से आपकी संतान के सभी कष्ट दूर होंगे और कार्य सिद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
2 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि 2 अक्टूबर को नवरात्र का सातवां दिन रहेगा। यानी कि इस दिन सप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा होगी। मां का यह रूप असुरों का नाश करने वाला माना गया है। सप्तमी पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग होने से आपको पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होगा और आपके जीवन से असुर रूपी बुराइयों का अंत होगा। मां कालरात्रि आपके अंदर की बुराइयों को नष्ट करके आपको निर्मलता प्रदान करेंगी।
29 सितंबर और 1 व 3 अक्टूबर रवि योग
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि 29 सितंबर चतुर्थी के दिन और 1 व 3 अक्टूबर यानी कि षष्ठी और अष्टमी के दिन रवि योग लग रहा है। रवि योग का संबंध सूर्य से माना गया है और इस शुभ योग में पूजा करने से आपके जीवन से सभी प्रकार के अंधकार दूर होते हैं। रवि योग में मां भगवती की पूजा आराधना श्रेष्ठ फलदायी मानी जाती है। इस बार रवि योग में मां कूष्मांडाए मां कात्यायनी और महागौरी की पूजा भक्तों के लिए परमफलदायी होने वाली है। अगर आपके मन में भी कोई मनोकामना शेष है तो इन सभी शुभ तिथियों पर मां भगवती के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करके इच्छित वर प्राप्त कर सकते हैं।
शारदीय नवरात्रि
अश्विन प्रतिपदा तिथि आरंभ: 26 सितंबर 2022, सुबह 03.23 मिनट से
अश्विन प्रतिपदा तिथि समापन: 27 सितंबर 2022, सुबह 03.08 मिनट तक
घटस्थापना मुहूर्त
घटस्थापना तिथि: सोमवार 26 सितंबर 2022
घटस्थापना मुहूर्त: प्रातः 06:21 मिनट से प्रातः 07: 50 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11.54 मिनट से दोपहर 12.42 मिनट तक
शारदीय नवरात्रि
26 सितंबर 2022 – प्रतिपदा घटस्थापना मां शैलपुत्री पूजा
27 सितंबर 2022 – द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
28 सितंबर 2022 – तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा,
29 सितंबर 2022 – चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा
30 सितंबर 2022 – पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा
1 अक्टूबर 2022 – षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा
2 अक्टूबर 2022 – सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा
3 अक्टूबर 2022 – अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा पूजा
4 अक्टूबर 2022 – महानवमी माँ सिद्धिदात्री पूजा
5 अक्टूबर 2022 – मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, विजयदशमी दशहरा
शारदीय नवरात्रि पूजा विधि
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। साफ वस्त्र पहनें। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की विधि को पूरा करें। कलश में गंगाजल भरें और कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें। नाारियल को लाल चुनरी के साथ लपेटें। नारियल को आम के पत्ते के ऊपर रखें। कलश को मिट्टी के बर्तन के पास या फिर उसके ऊपर रखें। मिट्टी के बर्तन पर जौके बीज बोएं और नवमी तक हर रोज कुछ पानी छिड़कें। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें। फूल, कपूर, अगरबत्ती, और व्यंजनों के साथ पूजा करनी चाहिए। साथ ही घर पर नौ कन्याओं को आमंत्रित करें। उन्हें एक साफ और आरामदायक जगह पर बैठाकर उनके पैर धोएं। उनकी पूजा करें और उनके माथे पर तिलक लगाएं। साथ ही उन्हें स्वादिष्ट भोजन परोसें। दूर्गा पूजा के बाद अंतिम दिन घट विसर्जन कर दें।