13 जुलाई को वक्री शनि करेगा मकर राशि में प्रवेश, बढ़ सकती हैं कुछ लोगों की परेशानियां
13 जुलाई को ये ग्रह एक राशि पीछे यानी मकर में प्रवेश कर जाएगा। जिससे धनु, मकर और कुंभ राशि के लोगों पर साढ़ेसाती का असर होने लगेगा।
बुधवार 13 जुलाई से वक्री शनि मकर राशि में रहेगा। जिससे कुछ लोगों की परेशानियां बढ़ सकती हैं। इसके बाद पूरे साल मकर राशि में रहेगा और 23 अक्टूबर तक वक्री ही रहेगा। इसलिए अब शनि की साढ़ेसाती और ढय्या की राशियां भी बदल जाएंगी। इस कारण अशुभ असर से बचने के लिए शनि देव से जुड़े उपाय करने चाहिए। जिसमें मंदिर जाकर तेल चढ़ाना, दीपक लगाना, शनि से जुड़ी चीजों का दान और मंत्र जाप शामिल है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि शनि अभी कुंभ राशि में वक्री है। यानी धीमा और पीछे की ओर चल रहा है। इसलिए 13 जुलाई को ये ग्रह एक राशि पीछे यानी मकर में प्रवेश कर जाएगा। जिससे धनु, मकर और कुंभ राशि के लोगों पर साढ़ेसाती का असर होने लगेगा। वहीं, मिथुन और तुला राशि पर ढय्या रहेगी। इन राशियों के लोगों को खासतौर से संभलकर रहना होगा और परेशानियों से बचने के लिए शनि के उपाय करने होंगे।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि शनि देव सूर्य के पुत्र हैं, लेकिन वे अपने पिता सूर्य से शत्रुता का भाव रखते हैं। इस संबंध में मान्यता है कि सूर्य का विवाह संज्ञा नाम की देव कन्या से हुआ था। संज्ञा प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। यमराज और यमुना संज्ञा और सूर्य देव की संतानें हैं। संज्ञा सूर्य का तेज सहन नहीं कर पा रही थीं। तब उन्होंने अपनी छाया को सूर्य देव की सेवा में लगा दिया और सूर्य देव को बताए बिना किसी और जगह चली गईं। बाद में सूर्य और छाया के पुत्र के रूप में शनि देव का जन्म हुआ। जब सूर्य को छाया के बारे में मालुम हुआ तो उन्होंने शनि देव के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। जिससे शनि उन्हें शत्रु मानने लगे थे। शनि देव ने तप करके शिव जी को प्रसन्न किया और ग्रह के रूप में न्यायाधीश का पद प्राप्त किया था। 13 जुलाई को शनि वक्री रहते हुए एक राशि पीछे की ओर आ जाएगा। यानी फिर से मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा। जिससे कई लोगों पर साढ़ेसाती और ढय्या शुरू होगी। वहीं, कुछ लोगों को इससे राहत मिलेगी। अब पूरे साल शनि मकर राशि में ही रहेगा। इसके बाद 17 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में प्रवेश करेगा।
शनि की साढ़ेसाती
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि मकर में शनि के आने से धनु राशि वालों पर फिर से साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी और मीन राशि वालों को इससे राहत मिलेगी। धनु राशि वालों पर साढ़ेसाती का आखिरी चरण है यानी पूरे साल शनि का शुभ फल मिलेगा। वहीं मकर और कुंभ राशि वालों पर भी शनि की साढ़ेसाती रहेगी। इन दोनों राशियों के लोगों को नौकरी, बिजनेस और सेहत को लेकर सावधान रहना होगा।
शनि की ढैय्या
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि वर्तमान में कर्क और वृश्चिक राशि वाले लोगों पर शनि की ढय्या चल रही है। शनि के मकर राशि में आते ही मिथुन और तुला राशि वालों पर शनि की ढय्या शुरू हो जाएगी। यानी मिथुन राशि के लिए गोचर कुंडली में शनि अष्टम भाव में आ जाएगा और तुला राशि वालों पर शनि की टेढ़ी नजर रहेगी। इस वजह से इन 2 राशियों के लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
राशियों पर रहेगी शनि की नजर
भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि मकर राशि में शनि के आ जाने से कर्क राशि वालों पर शनि की सीधी दृष्टि रहेगी। हालांकि इससे कर्क राशि वालों के लिए समय मिला-जुला रहेगा, लेकिन तुला राशि पर शनि की टेढ़ी नजर होने से इस राशि के लोगों के कामकाज में रुकावटें आ सकती हैं। धन हानि और दौड़-भाग के भी योग बनेंगे। मेहनत भी ज्यादा होगी। वहीं मीन राशि वालों पर शनि की तीसरी दृष्टि भी रहेगी, लेकिन इसका कोई खास अशुभ प्रभाव नहीं होगा।
7 राशियां होंगी प्रभावित
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि शनि के राशि बदलने से कई लोग इसके शुभ-अशुभ असर से प्रभावित होंगे। शनि के राशि परिवर्तन का असर खासतौर से धनु, मकर, कुंभ, मीन, मिथुन, कर्क और तुला राशि वालों पर पड़ेगा। शनि के कारण इन 7 राशि वालों के जीवन में बड़े बदलाव होने की संभावना है। इनके अलावा शनि देव अन्य 5 राशियों को भी किसी न किसी तरह प्रभावित करेंगे।
शनि देव को तिल का तेल चढ़ाएं
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि शनि के अशुभ असर से बचने के लिए मंदिर में जाकर शनि देव पर काले तिल चढ़ाएं और तिल का तेल चढ़ाएं। साथ ही तिल के तेल से ही मिट्टी का दीपक जलाएं। शनि देव को काला कपड़ा और नीले फूल चढ़ाएं। इस परंपरा के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के मुताबिक रावण ने सभी ग्रहों को अपने अधीन कर लिया था। रावण शनि देव को बहुत प्रताड़ित करता था। जिससे शनि देव को बहुत पीड़ा होती थी। जब हनुमान जी लंका पहुंचे थे तो उन्होंने शनि देव के शरीर पर लगाने के लिए तेल दिया था। ये तेल लगाने से शनि देव की पीड़ा दूर हो गई थी। एक अन्य कथा के मुताबिक एक बार शनि देव को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया तो वे हनुमान जी से युद्ध करने पहुंच गए। हनुमान जी ने शनि को युद्ध में पराजित कर दिया। हनुमान जी के प्रहारों से शनि को बहुत पीड़ा हो रही थी। उस हनुमान जी ने शनि को शरीर पर लगाने के लिए तेल दिया था। तेल लगाने के बाद शनि देव की पीड़ा शांत हो गई थी। ऐसी ही मान्यताओं की वजह से शनि को तेल चढ़ाने की परंपरा प्रचलित है।
उपाय
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शिव उपासना और हनुमत उपासना करें। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें। हनुमान चालीसा एवं शनि चालीसा का पाठ करें। मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को सरसों के तेल का दीपक जलाएं, दर्शन का लाभ लें। मंगलवार और शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करें। शनिवार के दिन शनि मंदिर में छाया दान अवश्य करें। गरीब, वृद्ध, असहाय लोगों को भोजन कराएं। पशु पक्षियों के लिए दाने, हरे चारे, पानी की व्यवस्था करें। तेल का दान भी करना चाहिए। तेल दान करने से आपको अपने कष्टों से छुटकारा मिलता है। शनिवार को लोहे से बनी चीजों को दान करना चाहिए। इस दिन लोहे का सामान दान करने से शनि देव शांत होते हैं। लोहा दान देने से शनि की दृष्टि निर्मल होती है। रुद्राक्ष की माला लेकर एक सौ आठ बार ॐ शं शनैश्चराय नमः का जप करें, शनिदेव की कृपा बनेगी और कष्ट दूर होंगे। काले कुत्ते को शनिवार के दिन सरसों के तेल से बनी रोटी खिलाएं। सूर्यास्त के समय पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
इन गलतियों को करने से बचें
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि किसी असहाय को बेवजह परेशान नहीं करें। मांस, मदिरा का सेवन बिल्कुल नही करें। कमजोर व्यक्तियों का अपमान न करें। अनैतिक कार्यों से दूर रहें।