पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। पितृ पक्ष में पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजन किया जाता है। पितृ पक्ष में पितरों के प्रति आदर-भाव प्रकट किा जाता है। पितृ पक्ष या श्राद्ध करीब 16 दिनों के होते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि साल 2022 में पितृ पक्ष 10 सितंबर, शनिवार से शुरू होंगे और इनका समापन 25 सितंबर 2022 को होगा। पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और आश्विन मास की अमावस्या को समापन होता है। शास्त्रों अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रमास की पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में पितरों को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूजा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों को प्रसन्न करने से है। सनातन मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना देह त्यागकर चले गए हैं, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। जिस किसी के परिजन चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित हों, बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष उनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितर कहा जाता है। पितृपक्ष में मृत्युलोक से पितर पृथ्वी पर आते है और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण किया जाता है। पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख शान्ति आती है।
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि पितृपक्ष में हर साल पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और हवन आदि किया जाता है। सभी लोग अपने-अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसारए उनका श्राद्ध करते हैं। माना जाता है कि जो लोग पितृपक्ष में पितरों का तर्पण नहीं करते उन्हें पितृदोष लगता है। श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को तृप्ति और शांति मिलती है। वे आप पर प्रसन्न होकर पूरे परि।वार को आशीर्वाद देते हैं। हर साल लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए गया जाकर पिंडदान करते हैं।
पितृ पक्ष
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि साल 2022 में पितृ पक्ष 10 सितंबर, शनिवार से शुरू होंगे और इनका समापन 25 सितंबर 2022 को होगा। शास्त्रों के अनुसार 16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि क्रियाएं की जाती है। पितृ पक्ष में पितरों के श्राद्ध वाले दिन कौआ को भोजन कराने की परंपरा है। मान्यता है कि कौवे के माध्यम से भोजन पितरों तक पहुंच जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर कौवे के रूप में पृथ्वी पर आते हैं। इस साल 17 सितंबर 2022 को श्राद्ध की तिथि नहीं पड़ रही है।
नहीं होते हैं मांगलिक कार्य
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि पितृों के समर्पित इन दिनों में हर दिन उनके लिए खाना निकाला जाता है। इसके साथ ही उनकी तिथि पर बह्मणों को भोज कराया जाता है। इन 15 दिनों में कोई शुभ कार्य जैसे, गृह प्रवेश, कानछेदन, मुंडन, शादी, विवाह नहीं कराए जाते। इसके साथ ही इन दिनों में न कोई नया कपड़ा खरीदा जाता और न ही पहना जाता है। पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए पिंडदान, हवन भी कराते हैं।
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास बता रहे है कब है कौनसा श्राद्ध।
श्राद्ध की तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध – प्रतिपदा श्राद्ध – 10 सितंबर
द्वितीय श्राद्ध – 1 सितंबर
तृतीया श्राद्ध – 12 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध – 13 सितंबर
पंचमी श्राद्ध – 14 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध – 15 सितंबर
सप्तमी श्राद्ध – 16 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध – 18 सितंबर
नवमी श्राद्ध – 19 सितंबर
दशमी श्राद्ध – 20 सितंबर
एकादशी श्राद्ध – 21 सितंबर
द्वादशी श्राद्ध – 22 सितंबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 23 सितंबर
चतुर्दशी श्राद्ध – 24 सितंबर
अमावस्या श्राद्ध – 25 सितंबर
मातामह या नाना श्राद्ध- 26 सितंबर
इस साल 17 सितंबर को श्राद्ध तिथि नहीं है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास