पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर बवाल मचा है! पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी के उप प्रमुख शाह महमूद कुरैशी को एक पाकिस्तानी अदालत ने सरकारी गोपनीय सूचनाओं के खुलासे के आरोप में 10 साल की सजा सुनाई है।
यह फैसला खान के लिए एक और बड़ा झटका है, जो पहले ही अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव हारने और भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने का दंश झेल चुके हैं। ‘सिफर केस’ के नाम से मशहूर इस मामले में आरोप लगाए गए थे कि खान को हटाए जाने के बाद एक रैली में गोपनीय दस्तावेज लहराया था, जिसे उन्होंने अपने खिलाफ धमकियों और अमेरिकी साजिश का सबूत बताया था।
रावलपिंडी में सुनाए गए इस फैसले में खान और कुरैशी दोनों को अपील करने की अनुमति दी गई है। यह घटनाक्रम 8 फरवरी को होने वाले पाकिस्तानी संसदीय चुनावों के ठीक पहले सामने आया है, जिनमें पूर्व अपराधिक सजा के कारण खान चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं।
हालांकि, खान जमीनी स्तर के समर्थकों और अपने सत्ता-विरोधी रुख के बल पर अभी भी एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बने हुए हैं। उनका दावा है कि उनके खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई चुनाव से पहले उन्हें बाहर करने का एक सुनियोजित प्रयास है।
खान की कानूनी परेशानियां ‘सिफर केस’ से आगे निकल जाती हैं, उनके खिलाफ अदालत की अवमानना से लेकर आतंकवाद तक 150 से अधिक मामले लंबित हैं। मई 2023 में उनकी गिरफ्तारी के बाद से विरोध प्रदर्शनों से चिह्नित पाकिस्तान के पहले से ही तनावपूर्ण राजनीतिक माहौल में इस सजा ने आग लगा दी है। पूर्व-चुनाव धांधली के आरोपों और खान और उनकी पार्टी के सदस्यों की उम्मीदवारी खारिज होने के साथ आगामी चुनावों की निष्पक्षता पर भी चिंता जताई जा रही है।