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मल्हार: छत्तीसगढ़ में एक ऐतिहासिक धरोहर

कु. निशा वैष्णव @ मोर ममा गाँव अकोला के तीर परसिद्ध  ऐतिहासिक स्थल मल्हार नगर बिलासपुर ले  दक्षिण – पश्चिम दिशा मा   बिलासपुर ले शिवरीनारायण जवईया सडक मा स्थित मस्तूरी ले 14 कि.मी. के दूरी मा स्थित हे । बिलासपुर जिला मा 21.55°  अक्षांस उत्तर अऊ 82.20° देशांतर उत्ती दिसा मा स्थित मल्हार के ताम्र पाषाण काल ले लेकर मध्य काल तक के  इतिहास ला सजीव करथे . मल्हार के उत्खनन मा ईसा के दूसरैया सदी के ब्राम्हीव लिपी मा आलेखित उक मृणमुद्रा पाए गे हे , जेमा गामस कोसलीइया (कोसली गाँव के ) लिखे हे । कोसल गांव ले पुराना गढ़ प्राचीर तथा परिखा आज भी विद्यमान हे ,जेन ओखर प्राचीनता ला मौर्यो के समयुगीन ले जाथे। इंहा कुषाण शासक विमकैडफाइसिस के  एक सिक्का भी मिले हे ।

मल्हार छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाला गाँव हावे। इहाँ के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि छत्तीसगढ़ के समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के परिचायक आय। मल्हार के इतिहास ल देखे जावय, त ए गाँव छ प्राचीन समय ले धार्मिक, सांस्कृतिक अउ प्रशासनिक केंद्र रिहिसे।

मल्हार के ऐतिहासिक महत्व

  1. प्राचीन नगर के पहचान:
  • मल्हार ल मल्लारपुरके नाम से जाना जाथे, जऊन गुप्त काल अउ कलचुरी काल के समय में महत्त्वपूर्ण नगर रिहिस।
  • खुदाई में इहाँ ले कई प्राचीन अवशेष मिलिस, जऊन छे कि ए इलाका धार्मिक अउ सांस्कृतिक दृष्टि ले समृद्ध रिहिसे।
  1. पुरातात्त्विक महत्व:
  • मल्हार में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के द्वारा खुदाई कराए गेय रिहिस। इहाँ ले कालचुरी वंश के अवशेष, मंदिर, मूर्ति अउ प्राचीन सिक्का मिले हवंय।
  • शिव, विष्णु अउ देवी दुर्गा के मूर्ति मिलिस, जऊन कलात्मक दृष्टि ले महत्वपूर्ण आय।
  1. 3. प्राचीन मंदिर अउ स्थापत्य कला:
  • मल्हार में पटनेश्वर महादेव मंदिर, दिदनेश्वरी देवी मंदिर, अउ देउर मंदिर स्थित आय। पुराना आय।
  1. बौद्ध धर्म अउ जैन धर्म के प्रभाव:
  • मल्हार में बौद्ध धर्म अउ जैन धर्म के प्रभाव के भी प्रमाण मिलथें। खुदाई के दौरान बौद्ध स्तूप अउ जैन मूर्ति मिलिस हावे, जऊन छे कि इहाँ विविध धर्म के समावेश रिहिसे।
  1. पुरातात्त्विक खुदाई में मिले प्रमाण:
  • इहाँ ले ताम्रपत्र, सिक्का अउ शिलालेख मिले हे, जऊन छे कि गुप्त काल अउ कलचुरी काल के शासन व्यवस्था अउ संस्कृति के जानकारी मिलथे।

मल्हार के धार्मिक महत्व

  • मल्हार छ धार्मिक स्थल के रूप म बहुत प्रसिद्ध आय। दिदनेश्वरी देवी मंदिर इहाँ के प्रमुख आकर्षण आय, जऊन छे कि इहाँ लोगन के आस्था के केंद्र आय।
  • महाशिवरात्रि अउ नवरात्रि के समय में इहाँ भारी संख्या म श्रद्धालु मन पूजा करे बर आवथें।

समकालीन महत्व

  • मल्हार आज भी अपने ऐतिहासिक अउ धार्मिक धरोहर के कारण पर्यटकों अउ इतिहासकार मन बर प्रमुख जगह आय।
  • छत्तीसगढ़ शासन अउ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इहाँ के संरक्षण अउ विकास बर निरंतर प्रयास करथे।

मल्हार छत्तीसगढ़ के प्राचीन वैभव के प्रतीक आय, जऊन म धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक समृद्धि अउ ऐतिहासिक धरोहर के अनूठा समागम दिखथे।

सातवाहन वंश-  सातवाहन शासकों के  गजांकित मुद्रा मन हा मल्हार उत्खनन ले  प्राप्त होए हे । रायगढ़ जिला के बालपुर गाँव ले सातवाहन शासक अपीलक के  सिक्का प्राप्त होए रहिस । वेदिश्री के नाम के मुद्रा मल्हा‍र मा  प्राप्त होए हे । एकर अलावा सातवाहन के कई अभिलेख गुंजी, किरारी, मल्हारि , मरसल, दुर्ग आदि जगह  ले  प्राप्त होए हे । इंहा के क्षेत्र ले कुषाण शासक मन के सिक्का भी मिले हे । जेमे  विमकैड्फाइसिस तथा कनिष्क प्रथम के सिक्का मन परसिद्ध हे । मल्हाफर उत्खनन ले ज्ञात होए हे  , कि ऐ  क्षेत्र मा  सुनियोजित नगर-निर्माण के प्रारंभ सातवाहन-के काल मा होए हे । मल्हार के  गढ़ी छेत्र मा  राजमहल अऊ  आन  संभ्रांत मनखे मन के  आवास रहिस हे |

शरभपुरिय राजवंस  दक्षिण कोसल मा कलचुरि शासक के पहली दू परमुख राजवंश के शासन रहिस | जेन मन शरभपुरिय  अऊ सोमवंशी नाम ले जाने जाथे | ए वंशो के  राज्य काल  लगभग 425 ले  655 ई. के बीच रखे  जा सकथे  | ए  काल  छत्तीसगढ़ के इतिहास के स्वर्ण युग कहे जा सकथे | ए काल मा  धार्मिक तथा ललित कला के पांच परमुख  केंद्र विकसित  होए हे जेकर नाव हरए  – 1. मल्हार 2. ताला 3. खरोद 4. सिरपुर 5. राजिम |

कलचुरि वंश नवीं शती के उत्तरार्ध मा त्रिपुरी के कलचुरि शासक ला कल्लदेव प्रथम के पुत्र शंकरगढ़ (मुग्धतुंग) हा  डाहल मंडल ले कोसल पर आक्रमण करिस  | पाली पर विजय प्राप्त करे  के बाद ओ हा अपन छोटे भाई ला तुम्माण के  शासक बना दिस | कलचुरि मन के ये  विजय स्थायी नइ  रह पाईस  | सोमवंश शासक अब तक अब्बड़ परबल  होगे रहिस | ओ मन  तुम्माण ले कलचुरि मन  ला  खेदार दिस  | लगभग ई.1000 मा  कल्लदेव द्वितीय के 18 लईका  मा एक पुत्र कलिंगराज हा दक्षिण कोसल  पर फेर तुम्माण ला कलचुरि मन के राजधानी बनाइस | कलिंगराज के बाद कमलराज,रत्नराज प्रथम  क्रमशः कोसल के शासक बनिन | मल्हार मा अघुवा कलचुरी-वंश के शासन जाजल्लदेव मा स्थापित होईस | पृथ्वीदेव द्वितीय के राजकाल मा मल्हार में  कलचुरि मन के मांडलिक शासक ब्रम्हदेव रिहिस  | पृथ्वीदेव के पश्चात ओकर लईका जाजल्लदेव द्वितीय के समय मा  सोमराज नामक ब्राम्हाण हा मल्हार मा  प्रसिद्ध केदारेश्वर मंदिर के  निर्माण कराइस | ये  मंदिर अब पातालेश्वर मंदिर के नाम ले परसिद्ध हे |

मराठा शासन  कलचुरि वंश के  अंतिम शासक रघुनाथ सिंह रिहिस  | ई.1742 मा  नागपुर के रघुजी भोंसले अपने सेनापति भास्कर पन्त के नेतृत्व मा उड़ीसा अऊ बंगाल मा विजय खातिर  छत्तीसगढ़ ले  गुजरिस | ओ हर रतनपुर मे  आक्रमण करिस अऊ  विजय प्राप्त करिस | अइसन छत्तीसगढ़ ले  हेह्य वंशी कलचुरि मन के शासन लगभग सात शताब्दि बाद सिराईस  |

कला – उत्तर भारत ले दक्षिण पूर्व के  ओर जवईया  परमुख रद्दा मा  स्थित होये  के कारण मल्हार के  महत्व बढिस | ये नगर धीरे-धीरे विकसित होए हे  अऊ  इंहा  शैव ,वैष्षव अऊ जैन धर्मावालंबी मन  के मंदिर,मठ मूर्ति के  निर्माण बड़े रूप में होए हे | मल्हार मा  चतुर्भज विष्णु के एक अद्वितीय प्रतिमा मिलीस हे  | जेमा  मौर्य काल के ब्राम्हीलिपि मा लेख अंकित हे | एकर  निर्माण काल  लगभग ई.पूर्व 200 हे  |मल्हार अऊ ओकर  तीर के  क्षेत्र ले  विशेषतः शैव मंदिर के अवसेस मिले हे . जेकर से ये  क्षेत्र मा  शैवधर्म के विशेस उत्थान के  पता चलते  | इसवी पांचवी ले सातवी सदी तक बने शिव,कार्तिकेय,गणेश,स्कन्द माता,अर्धनारीश्वर आदि के उल्लेखनीय मूर्ति मन यहाँ प्राप्त होए हे | एक शिलापट पर कच्छप जातक के कथा अंकित हे  | शिल्लापट पर सुख्खा  तरिया  ले  एक केछुआ ला  उड़ा के नदिया के  ओर ले जात हुए दू ठन हंस बने हे  | दूसरैया कथा उलूक-जातक के हे | ऐमा घुघवा ला पक्षी मन  के राजा बनाये बर गद्दी मा  बैठाइस  हे | 

सातवी ले दसवी सदी के मध्य विकसित मल्हार के  मूर्तिकला मा उत्तर गुप्त युगिन विशेषता स्पष्ट परिलक्षित हे  | मल्हार मा  बौद्ध स्मारक अऊ  परतिमा के  निर्माण ये काल  के  विशेषता हे |

माँ डीन्डेश्वरी देवी 

अरपा, लीलागर अऊ  शिवनाथ नदिया  के बीचोबिच  बसे  मल्हार कलचुरिय मन के गढ़ रहिस हे । इंहा मां डिडनेश्वरी देवी के  परसिद्ध मंदिर हे । डिडनेश्वरी देवी के परतिमा कलचुरि संवत 900 के आये हे  । शुद्ध करिया  ग्रेनाइड ले  बने  मां डिडनेश्वरी के  परतिमा  लोगन के आस्था के केंद्र आये ।

हजारो लोगन मन मां डिडनेश्वरी के दर्शन खातिर पहुंचथे । मान्यता हे कि देवी के दर्शन मात्र ले भक्तन के सबे मनोकामना पूरा हो जाथे । माता अपन दरबार ले  कोनो ला भी खाली हाथ नइ जान देवय. इंहा  स्थानीय लोगन  के अलावा पूरा  छत्तीसगढ़ प्रदेश अऊ  देशभर के  लोगन मन दर्शन करे खातिर पहुंचथे । मल्हार में पुरातत्व के अनेक मंदिर के  अवशेस हे । 

मूर्ति कला के  उत्तम नमूना
बिलासपुर ले  40 किमी दूर इंहा  जोधरा मार्ग मा मौजूद मल्हार गांव डिडनेश्वरी देवी के कारण प्रसिद्व हे । कहे जाथे  कि मंदिर के  निर्माण 10 वीं-11 वीं ई. में होए रिहिस । 52 शक्तिपीठों में 51 वां शक्तीपीठ मल्हार में हे । ये मूर्ति कला के उत्तम नमूना हे । शुद्व करिया  ग्रेनाइड ले बने हे । ये  प्रतिमा ले  अनोखा  ध्वनी निकलथे ।

नवरात्रि मा विशेष आयोजन
चईत नवरात्रि के दिन मा लोगन मन माता डिडनेश्वरी के रंग मा रंग जाथे । गांव मा भक्ति के माहौल रहिथे । बड़े  संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करे बर पहुँचथे । मंदिर मा भी विशेष पूजा-अर्चना अऊ  धार्मिक आयोजन होथे ।

मल्हार जाये के रद्दा :

हवई जिहाज ले :-

बिलासपुर (35 किमी) के तीर हवई अड्डा दिल्ली, भोपाल, जबलपुर अऊ  प्रयागराज जुड़े हे . अऊ  रायपुर (122 किमी) के तीर  हवई अड्डा मुंबई, दिल्ली, नागपुर, हैदराबाद, कोलकाता, बेंगलुरु, विशाखापत्तनम और चेन्नई ले जुड़े हे ।

छुकछुक ट्रेन द्वारा :-

हावडा मुंबई मुख्य रेल मार्ग मा  बिलासपुर (32 किमी) तीर के  रेल्वे, टेसन हे ।

सड़क के द्वारा :-

बिलासपुर शहर के  निजी वाहन या  बस द्वारा मस्तुरी होवत  मल्हार तक सड़क रद्दा ले यात्रा करे जा सकथे ।

संकलनकर्ता एवं भाषा अनुवाद कु. निशा वैष्णव,  तिल्दा-नेवरा 

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