IIT बाबा अभय सिंह के टीचर रमेश रोहिल्ला नाराज, IIT बाबा के माता-पिता के बारे में चौंकाने वाला खुलासा

हरियाणा के झज्जर के अभय सिंह, जिन्हें अब IIT बाबा के नाम से जाना जा रहा है, उनके माता-पिता को भगवान न मानने के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। उनके स्कूल डीएच लॉरेंस के टीचर रमेश रोहिल्ला ने कहा कि माता-पिता बच्चे के पहले गुरू होते हैं और उन्हें कभी भी गलत नहीं कहना चाहिए। अभय ने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और अब अध्यात्म का रास्ता चुन लिया है।

टीचर रोहिल्ला ने कहा कि अध्यात्म की राह गलत नहीं है, बशर्ते उसमें सकारात्मकता हो। उन्होंने यह भी बताया कि अभय अकेले IIT बाबा नहीं हैं, उनसे पहले भी नौ अन्य IITian बाबा बन चुके हैं। रोहिल्ला, जिन्होंने अभय को 5वीं से 12वीं तक पढ़ाया, ने बताया कि अभय स्कूल में हमेशा नंबर वन रहा और अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान केंद्रित करता था।

अभय का परिवार झज्जर जिले के सासरौली गांव का रहने वाला है। उन्होंने 11 महीने पहले अपना घर छोड़ दिया था और छह महीने से परिवार से संपर्क पूरी तरह खत्म कर लिया था। प्रयागराज के महाकुंभ में उनकी तस्वीरें और वीडियो सामने आने के बाद परिवार को पता चला कि वह अब बाबा बन चुके हैं।IIT Baba

टीचर रोहिल्ला ने अभय के स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा कि 1999 में उसने डीएच लॉरेंस स्कूल में दाखिला लिया और 12वीं तक वहीं पढ़ाई की। वह हमेशा अपनी मेहनत और प्रतिभा से सबको प्रभावित करता था। अध्यात्म में उसकी रुचि स्कूल के दिनों में कभी नजर नहीं आई।IIT Baba


अभय के अध्यात्म की ओर झुकाव पर रोहिल्ला ने कहा कि वैराग्य का जीवन जीना हर किसी के बस की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक कठिन मार्ग है और जो इस पर चलता है, उसे सांसारिक मोह-माया से दूर रहना पड़ता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभय का परिवार खासतौर पर दुखी है क्योंकि वह उनके इकलौते बेटे हैं।

हाल ही में अभय सिंह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने माता-पिता को भगवान न मानने की बात कही। उन्होंने कहा कि “लोग गर्व से कहते हैं कि मैंने अपने माता-पिता के लिए घर बनाया। यह एक पेरेंटल ट्रैप है। यह सतयुग का कॉन्सेप्ट है, जिसे लोग कलयुग में इस्तेमाल कर रहे हैं। माता-पिता भगवान नहीं हैं। माता-पिता को भी भगवान ने बनाया है। यदि माता-पिता भगवान जैसे नहीं हैं, तो वे भगवान कैसे हो सकते हैं। यहां माता-पिता बच्चों को ऐसे पालते हैं, जैसे घोड़े-गधे बना रहे हों।”