Video : क्या हुआ जब कुछ मुस्लिम युवाओं ने अघोरी को घेर लिया?

महाकुंभ का अद्भुत दृश्य था। गंगा के तट पर लाखों लोग अपने पाप धोने और पुण्य अर्जित करने आए थे। हर तरफ भजन-कीर्तन की ध्वनि, दीयों की रोशनी, और पवित्रता का माहौल था। साधु-संतों के शिविरों में यज्ञ-हवन और ध्यान चलता रहा। लेकिन इसी शांति के बीच, एक अघोरी साधु एकांत में तपस्या कर रहा था। उसके चारों ओर राख का घेरा, माथे पर त्रिपुंड, और हाथ में त्रिशूल था। उसकी गहरी साँसें और मंत्रोच्चार वातावरण को रहस्यमय बना रहे थे।

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इस अघोरी के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित थीं। कुछ लोग कहते थे कि वह शिव के सीधे संदेशवाहक हैं। कुछ का मानना था कि वह मृत्यु से जुड़ी गूढ़ विद्या के ज्ञाता हैं। और कुछ का यह भी कहना था कि उनकी तपस्या से जुड़े स्थान पर कोई आम इंसान जिंदा नहीं रह सकता। लेकिन अघोरी हमेशा शांत रहते थे, किसी को जवाब नहीं देते थे।

उस रात, जब चारों ओर गंगा आरती की गूँज हो रही थी, कुछ युवाओं का समूह अचानक उनके पास पहुँचा। ये लोग स्थानीय नहीं थे। वे मुस्लिम टोपी पहने हुए थे और उनकी आँखों में एक अजीब नफरत और जिज्ञासा का मिश्रण था।

उन युवाओं ने अघोरी को चारों ओर से घेर लिया। उनमें से एक ने गुस्से में पूछा, “कौन हो तुम? क्या कर रहे हो यहाँ? तुम्हारी ये तंत्र-मंत्र की गतिविधियाँ हमें गलत लगती हैं। यह धर्म के खिलाफ है!”

अघोरी ने अपनी आँखें खोलीं। उसकी आँखों में अजीब चमक थी, मानो वह इन युवाओं के भीतर झाँक रहा हो। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। उसकी चुप्पी ने युवाओं को और गुस्से में भर दिया।

“हम तुम्हारी यह तंत्र-मंत्र की साधना यहीं खत्म कर देंगे!” एक युवा ने चिल्लाते हुए कहा। उसने पास पड़ा पत्थर उठाया और अघोरी की ओर फेंकने की कोशिश की। तभी अचानक, अघोरी ने मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया।

मंत्र के साथ, हवा में अजीब सी गूँज होने लगी। गंगा का पानी तेजी से उफान मारने लगा। चारों ओर ठंडी हवा ने आग की तरह चुभन पैदा कर दी। युवाओं को ऐसा महसूस हुआ, जैसे उनके पैरों के नीचे की ज़मीन खिसक रही हो।

उनमें से एक युवा ने चीखकर कहा, “यह क्या हो रहा है? हमें यहाँ से भागना चाहिए!” लेकिन उनके कदम जैसे जमे हुए थे।

अघोरी ने गहरी आवाज़ में कहा, “तुमने मेरे तप को भंग किया है। यह तुम्हारी आत्मा को जलाएगा।” उसकी आवाज़ में इतना डर था कि सभी युवक काँपने लगे।

तभी, हवा में एक तेज़ बिजली चमकी। चारों ओर से नागों की फुफकारने की आवाज़ें आने लगीं। एक बड़े नाग की आकृति गंगा के जल से उभरी। उसकी आँखें अंगारों की तरह लाल थीं। वह नाग अघोरी के चारों ओर घूमने लगा, मानो उसकी रक्षा कर रहा हो।

युवाओं ने यह देखकर घुटनों के बल बैठकर माफी माँगनी शुरू कर दी। “हमें माफ कर दो! हमें नहीं पता था कि तुम कौन हो।”

अघोरी ने कहा, “तुमने जो देखा, वह तुम्हारे अहंकार का नतीजा है। यह नाग तुम्हारे पापों का गवाह है।

तभी, अघोरी ने एक मंत्र पढ़ा, और वह नाग धीरे-धीरे गायब हो गया। युवाओं को लगा, जैसे वे किसी बुरे सपने से जाग गए हों।

अघोरी ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह तो बस एक संकेत था। असली घटना तो कुंभ के आखिरी दिन घटेगी। जो तुमने देखा, वह महज शुरुआत थी।

युवकों ने डरते हुए पूछा, “आखिरी दिन क्या होगा?”

अघोरी ने बिना जवाब दिए अपनी आँखें बंद कर लीं। तभी, दूर से किसी वृद्ध साधु की आवाज़ आई, “शिव का खेल प्रारंभ हो चुका है। जो इसके बीच आएगा, वह समाप्त हो जाएगा।”

क्या महा कुंभ के अंतिम दिन कोई विनाशकारी घटना घटने वाली है? अघोरी के इस रहस्यमय संकेत का क्या मतलब है?

गंगा किनारे बसे कुंभ मेले में लाखों लोग अपने पाप धोने और पुण्य अर्जित करने आए थे। परंतु पिछले रात की घटना ने माहौल को विचलित कर दिया था। अघोरी की साधना भंग करने वाले युवकों में से एक, इमरान, रातभर सो नहीं सका। उसका मन भारी था, और हर बार जब उसने अपनी आँखें बंद कीं, तो नागराज की उभरती आकृति उसकी आँखों के सामने आ जाती। वह बेचैनी से भोर का इंतजार कर रहा था। सूरज की पहली किरण गंगा पर पड़ते ही वह अपने दोस्तों के साथ अघोरी के पास पहुँचा।

इमरान ने रोते हुए कहा, “हमसे बहुत बड़ी भूल हुई है। हमें माफ कर दो।” उसकी आँखों में आँसू छलक रहे थे। बाकी युवकों ने भी हाथ जोड़कर माफी माँगी। अघोरी ने शांत भाव से कहा, “यह माफी का समय नहीं, यह प्रायश्चित का समय है। गंगा तुम्हारे पाप धो सकती है, लेकिन उसकी गहराई में छुपा सत्य जानने की हिम्मत होनी चाहिए।

अघोरी के शब्दों ने युवकों को असहज कर दिया। तभी, गंगा के पानी में से धीमे-धीमे रहस्यमय गूँज सुनाई देने लगी। वह गूँज किसी मंत्र जैसी थी, लेकिन शब्द समझ में नहीं आ रहे थे। आसपास खड़े लोग डर के मारे इधर-उधर भागने लगे। गंगा का जल धीरे-धीरे उफान मारने लगा, और पानी की लहरें जैसे किसी अदृश्य शक्ति का संकेत दे रही थीं।

तभी एक बूढ़े साधु ने चिल्लाकर कहा, “यह नागराज का प्रकोप है! किसी ने उनकी शांति भंग की है।

युवकों ने डरकर अघोरी से पूछा, “हमने क्या किया? हमें यह सब क्यों दिख रहा है?

अघोरी ने गंभीर स्वर में कहा, “तुमने वह देख लिया, जो आम मनुष्य को नहीं देखना चाहिए। नागराज के संकेत को समझने का प्रयास मत करो। अगर वह तुम्हें फिर से दिखे, तो समझो तुम्हारे जीवन का अंतिम क्षण आ गया है।

अघोरी की चेतावनी सुनकर इमरान रो पड़ा। उसने काँपते हुए कहा, “मैंने कुछ गलत किया है। मैंने उस रात अपनी माँ को सपना देखा था। उन्होंने मुझे बुलाया, लेकिन वह माँ नहीं थीं। उनका चेहरा बदल गया था, और वह नागिन बन गई थीं।”

इमरान की यह बात सुनकर उसके दोस्तों ने उसे गले लगा लिया। “तुम्हारा सपना एक संकेत है, इमरान। हमें इस रहस्य को समझना होगा।”

तभी अघोरी ने कहा, “संकेत तुम्हारे सपने तक सीमित नहीं हैं। यह कुंभ के अंतिम दिन होगा। शिव की शक्ति और नागराज का प्रकोप एक साथ प्रकट होंगे। तुम उस रहस्य का हिस्सा बन चुके हो।”

यह सुनकर युवकों की आँखों में आँसू भर आए। उन्हें अपने किए पर गहरा पछतावा था, लेकिन उन्हें डर भी था कि आने वाले दिनों में क्या होने वाला है।

तभी, गंगा के पानी में से एक रहस्यमय आकृति उभरी। यह कोई साधारण आकृति नहीं थी। वह वही नागराज था, जिसे युवकों ने पिछली रात देखा था। इस बार उसका रूप और भी विशाल और भयंकर था। उसकी आँखों से आग की लपटें निकल रही थीं। आसपास खड़े लोग डर के मारे तितर-बितर हो गए।

अघोरी ने त्रिशूल उठाया और नागराज की ओर बढ़ते हुए कहा, “तुम यहाँ क्यों प्रकट हुए हो? क्या यह संकेत कुंभ के शेष दिनों के लिए है, या तुमने अपने प्रकोप का निर्णय ले लिया है?”

नागराज ने गरजते हुए कहा, “यह धरती पर फैले अंधकार को नष्ट करने का समय है। मैंने उन युवकों को चेतावनी दी थी, लेकिन वे मेरी शक्ति का सम्मान नहीं कर सके।

नागराज की उपस्थिति ने पूरे माहौल को डरावना बना दिया। इमरान ने काँपते हुए पूछा, “क्या हम मरने वाले हैं?”

अघोरी ने उसकी ओर देखा और कहा, “यह तुम्हारे भाग्य पर निर्भर करता है। तुम्हें अपनी आत्मा को शुद्ध करना होगा। लेकिन जो कुंभ के अंतिम दिन होगा, उसे तुम रोक नहीं सकते। वह दिन पृथ्वी और आकाश को जोड़ने वाला दिन होगा।”

तभी आसमान में बादल घिरने लगे। गंगा का पानी शांत हो गया, और नागराज की आकृति धीरे-धीरे अदृश्य हो गई। अघोरी ने युवकों की ओर देखते हुए कहा, “तुम्हें अभी बहुत कुछ सहना होगा। कुंभ के आखिरी दिन सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।”


अगले अध्याय में: “शिव का नटराज और कालचक्र”

क्या नागराज के प्रकोप से बचने का कोई तरीका है? क्या कुंभ के आखिरी दिन पृथ्वी पर कोई विनाशकारी घटना घटेगी? यह सब जानने के लिए अगले अध्याय का इंतजार करें।

महा कुंभ का तीसरा दिन था। गंगा किनारे का वातावरण पहले की तुलना में अधिक गंभीर और भयावह लग रहा था। इमरान अपने दोस्तों के साथ गंगा तट पर बैठा था, लेकिन उसकी आँखों में कोई चमक नहीं थी। उसने अपने दोस्तों से कहा, “मुझे लगता है, मैं अब यहाँ से वापस नहीं जा पाऊँगा। मेरी आत्मा पर जो भार है, उसे मैं सहन नहीं कर सकता।”

पास खड़ी एक वृद्ध महिला, जो अपने बेटे की अस्थियाँ गंगा में विसर्जित करने आई थी, उसकी बात सुनकर रो पड़ी। उसने कहा, “बेटा, गंगा में डुबकी लगाओ। माँ गंगा सबके पाप धो देती हैं। मैं भी अपने बेटे के लिए यही प्रार्थना करती हूँ।”

यह सुनकर इमरान का दिल पिघल गया। उसने गंगा में डुबकी लगाई, लेकिन जैसे ही वह पानी से बाहर आया, उसे लगा कि उसका शरीर भारी हो गया है। उसके कानों में एक अजीब-सी आवाज़ गूँज रही थी: “तुम्हारे पाप धोने के लिए यह जल पर्याप्त नहीं है। तुमने जो किया है, उसका प्रायश्चित अभी बाकी है।

अचानक, गंगा का पानी उफान मारने लगा। पानी की सतह पर नागों की आकृतियाँ बनती और गायब होती रहीं। चारों ओर भगदड़ मच गई। लोग चिल्लाने लगे, “यह क्या हो रहा है? क्या गंगा का प्रकोप शुरू हो गया?”

इमरान और उसके दोस्त हड़बड़ाकर किनारे पर दौड़ने लगे। तभी, एक नाग उनके सामने आकर फुफकारा। उसकी आँखें जलती हुई अंगारों जैसी थीं। वह नाग उनके चारों ओर घूमने लगा।

अचानक, एक अघोरी की गहरी आवाज़ गूँजी, “रुको!” सभी ने मुड़कर देखा। वही अघोरी, जिसने पहले इमरान को चेतावनी दी थी, त्रिशूल लेकर खड़ा था। उसने नाग की ओर देखते हुए कहा, “इनकी परीक्षा अभी पूरी नहीं हुई। इन्हें छोड़ दो।”

नाग ने अघोरी की बात मानते हुए अपनी फुफकार को धीमा किया और गंगा में समा गया। लेकिन जाते-जाते वह कुछ ऐसा कह गया, जिसने सबको स्तब्ध कर दिया: “शिव का नटराज प्रकट होने वाला है।

इमरान और उसके दोस्तों ने थरथराते हुए अघोरी से पूछा, “नटराज का मतलब क्या है? क्या हमें अब भी माफ़ी मिल सकती है?”

अघोरी ने गहरी साँस ली और कहा, “शिव का नटराज केवल दो कारणों से प्रकट होता है: या तो सृष्टि का नाश करने के लिए, या उसे पुनर्जीवित करने के लिए। लेकिन इस बार, यह दोनों उद्देश्यों के साथ प्रकट होगा।”

यह सुनकर इमरान रोने लगा। उसने कहा, “हमने बहुत बड़ी भूल की। हमने आपकी साधना भंग की। हमने जो देखा, वह हमारी आत्मा पर गहरा घाव बन गया है।”

अघोरी ने उसे गंगा के किनारे बैठने को कहा और मंत्र पढ़ने लगे। तभी, इमरान की आँखों से आँसू गिरने लगे। उसने महसूस किया कि उसका पूरा जीवन उसकी आँखों के सामने एक फिल्म की तरह चल रहा है। उसने अपने किए पाप और भूलों को देखा और रोते हुए कहा, “हे शिव, मुझे बचा लो।

अचानक, आसमान में बिजली कड़कने लगी। बादलों से एक अनोखी रोशनी गंगा के जल पर पड़ी। जल के भीतर से धीरे-धीरे एक आकृति उभरने लगी। यह शिव का नटराज रूप था। उनके एक हाथ में डमरू, दूसरे में त्रिशूल, और तीसरे में अग्नि। उनकी मुद्रा इतनी भयंकर थी कि वहाँ खड़े हर व्यक्ति का कलेजा काँप उठा।

शिव के नटराज रूप ने अपनी भव्यता के साथ गंगा के जल को स्थिर कर दिया। हर कोई शिव की स्तुति में झुक गया। लेकिन तभी, एक भयंकर आवाज़ गूँजी: “सृष्टि का संतुलन बिगड़ चुका है। अब न्याय का समय आ गया है।”

शिव के नटराज रूप ने डमरू बजाना शुरू किया। उसकी आवाज़ इतनी तीव्र थी कि चारों ओर अंधेरा छा गया। इमरान और उसके दोस्त भय से काँपने लगे। उन्हें महसूस हुआ कि अब उनका अंत निकट है।

डमरू की आवाज़ धीमी होते ही, अघोरी ने अपनी आँखें खोलीं और कहा, “जो हुआ, वह केवल संकेत था। लेकिन असली परीक्षा अभी बाकी है।”

इमरान ने रोते हुए पूछा, “अब क्या होगा? क्या हमें इसका प्रायश्चित करने का कोई और अवसर मिलेगा?”

अघोरी ने गंभीर स्वर में कहा, “शिव का नटराज सृष्टि के नियमों को पुनः स्थापित करने के लिए प्रकट हुआ है। लेकिन इससे पहले, नागराज और शिव के बीच एक भयंकर युद्ध होगा। यह युद्ध केवल एक सच्चे भक्त की साधना के बल पर रुक सकता है।”

तभी, गंगा के पानी में एक और रहस्यमय आकृति उभरी। वह आकृति एक युवा लड़की की थी, जिसके हाथों में कमल का फूल था। अघोरी ने उसे देखकर कहा, “यह नई कड़ी है, जो सृष्टि के अंत या नए आरंभ का कारण बनेगी।”

कौन थी वह लड़की? क्या वह सृष्टि को बचाने का माध्यम बनेगी, या यह केवल शिव के प्रकोप की शुरुआत थी?


अगले अध्याय में: “नागराज और शिव का युद्ध”

क्या शिव का नटराज रूप सृष्टि को नष्ट करेगा? वह लड़की कौन थी, जो गंगा के जल से प्रकट हुई? इन सभी रहस्यों का खुलासा अगले अध्याय में होगा।

रात का तीसरा पहर था। गंगा के तट पर फैला कुंभ मेला पहले से कहीं अधिक भयावह लग रहा था। श्रद्धालुओं के चेहरों पर चिंता की लकीरें थीं। सबने नटराज रूप के दर्शन की घटना सुनी थी, लेकिन उसकी सटीकता को समझ नहीं पा रहे थे।

गंगा की लहरें जैसे स्तब्ध खड़ी थीं। किसी के पैरों में साहस नहीं था कि वह उसमें उतर सके। इमरान और उसके दोस्त एक पेड़ के नीचे बैठे थे। उनकी आँखें लाल थीं, मानो वे हफ्तों से सोए न हों। इमरान ने टूटे स्वर में कहा, “मैं अब यह बोझ नहीं उठा सकता। मैंने जो किया, उसकी सजा मेरे सपनों में दिख रही है। हर रात, मैं अपनी माँ को नाग के रूप में देखता हूँ।”

यह सुनकर उसके दोस्त भी भावुक हो गए। उनमें से एक, आरिफ ने कहा, “हमें माफ़ी माँगने के लिए जो भी करना पड़े, करना चाहिए। अगर शिव की कृपा न मिली, तो हम बचे नहीं रहेंगे।

तभी, आसमान में अचानक गड़गड़ाहट हुई। लोग भयभीत होकर तंबुओं से बाहर निकल आए। हवा में अचानक गर्मी बढ़ गई। अघोरी, जो गंगा के किनारे ध्यान मग्न थे, उठ खड़े हुए। उन्होंने चारों ओर देखा और गहरी आवाज़ में कहा, “यह संकेत है। नागराज जाग चुके हैं।”

गंगा के जल में हलचल बढ़ने लगी। पानी में लालिमा आ गई, मानो उसमें रक्त बह रहा हो। चारों ओर भगदड़ मच गई। श्रद्धालु चिल्लाने लगे, “यह गंगा का प्रकोप है! सबकुछ नष्ट होने वाला है!”

तभी, गंगा के बीच से एक विशाल नाग का सिर प्रकट हुआ। उसकी आँखों में जलती हुई लपटें थीं। वह जोर से फुफकारा, और उसकी आवाज़ पूरे कुंभ क्षेत्र में गूँज उठी। उसने कहा, “जो भी इस सृष्टि के संतुलन को भंग करेगा, वह मेरे क्रोध का भागी होगा।

नागराज की गर्जना सुनकर इमरान और उसके दोस्तों ने गंगा में कूदने की कोशिश की, लेकिन उनके कदम बंधे हुए महसूस हुए। वे रोते हुए अघोरी के पास भागे और कहा, “हमें माफ कर दो! हमने आपकी साधना को भंग करके बहुत बड़ा अपराध किया है।”

अघोरी ने गहरी साँस लेते हुए कहा, “यह माफी का समय नहीं है। यह प्रायश्चित का समय है। तुम सबको अपने जीवन का त्याग करना होगा, लेकिन शिव की कृपा पाने के लिए तुम्हें अभी और परीक्षा देनी होगी।”

यह सुनकर इमरान की आँखों से आँसू गिरने लगे। उसने काँपते हुए पूछा, “क्या इसका मतलब है कि हमें मरना होगा?”

अघोरी ने शांत स्वर में कहा, “मृत्यु अंत नहीं है। यह केवल एक आरंभ है। लेकिन जो तुम्हारे हिस्से में आया है, वह किसी साधारण मनुष्य की परीक्षा नहीं है।

तभी, गंगा के जल में अचानक शांति छा गई। नागराज की आकृति गायब हो गई, और उसकी जगह एक चमकदार स्त्री आकृति प्रकट हुई। वह कमल के फूल पर खड़ी थी, और उसके हाथ में जल कलश था।

वह स्त्री चारों ओर देखकर बोली, “मैं गंगा हूँ। मेरे जल में वह शक्ति है, जो शिव के नटराज को शांत कर सकती है। लेकिन इसके लिए एक बलिदान की आवश्यकता है।”

यह सुनकर अघोरी ने कहा, “यह बलिदान कौन देगा?”

गंगा ने इमरान की ओर देखा और कहा, “तुम। तुम्हारा जन्म इसी उद्देश्य के लिए हुआ था। लेकिन तुम्हें अभी अपने भीतर के अंधकार से लड़ना होगा।”

यह सुनते ही इमरान के दोस्तों ने उसे गले लगा लिया। उनकी आँखों में आँसू थे। आरिफ ने कहा, “हम तुम्हारे साथ हैं, भाई। अगर तुम्हें बलिदान देना है, तो हम भी तैयार हैं।

गंगा की आकृति धीरे-धीरे विलीन होने लगी। लेकिन जाते-जाते उसने कहा, “कुंभ के अंतिम दिन, शिव का नटराज रूप प्रकट होगा। सृष्टि के भविष्य का निर्णय उसी दिन होगा।”

अघोरी ने गहरी आवाज़ में कहा, “अब सबकी परीक्षा शुरू होगी। जो अपने भीतर की शक्ति को पहचान पाएगा, वही सृष्टि को बचाने का माध्यम बनेगा।”

इमरान और उसके दोस्तों ने गंगा की ओर देखा, जहाँ जल में फिर से हलचल शुरू हो गई थी। उनके दिलों में डर और जिज्ञासा का सैलाब था।

क्या इमरान गंगा के बताए बलिदान के लिए तैयार होगा? शिव का नटराज रूप क्या सृष्टि को बचाएगा या उसका अंत करेगा? यह सब जानने के लिए इंतजार करें अगले अध्याय का।

कुंभ का अंतिम दिन करीब था। गंगा के तट पर उमड़ी भीड़, मंत्रोच्चार और दीपों की रोशनी से सजी थी, लेकिन वातावरण में अजीब सी बेचैनी थी। इमरान, जो गंगा द्वारा चुने गए बलिदान के लिए तैयार होने की कोशिश कर रहा था, एकांत में बैठा हुआ था।

उसकी आँखें गंगा के बहते जल को देख रही थीं, लेकिन उसकी आत्मा अशांत थी। उसने अपने दोस्तों से कहा, “मैं हमेशा सोचता था कि मेरे जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है। लेकिन अब, जब मुझे पता चला कि मेरा जन्म एक विशेष कारण से हुआ है, तो मेरा दिल भारी हो गया है। क्या मैं सच में यह कर पाऊँगा?”

आरिफ ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, “इमरान, हम तुम्हारे साथ हैं। अगर यह बलिदान हमें सृष्टि को बचाने का मौका देता है, तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। लेकिन यह मत सोचो कि तुम अकेले हो।”

यह सुनकर इमरान की आँखों से आँसू छलक पड़े। उसने गंगा की ओर देखते हुए प्रार्थना की, “माँ गंगा, मुझे शक्ति दो।

तभी, गंगा के जल में हलचल होने लगी। चारों ओर घने बादल छा गए, और हवा में एक अजीब-सी गूँज सुनाई दी। लोग अपने तंबुओं से बाहर निकल आए और गंगा के तट की ओर दौड़ने लगे। जल में से धीरे-धीरे एक विशाल नाग की आकृति उभरने लगी।

नागराज के प्रकट होते ही उनकी गहरी और भयंकर आवाज़ गूँजी: “सृष्टि के नियम तोड़े गए हैं। अब न तो मानव बचेगा, न देवता। केवल शिव का निर्णय सृष्टि को दिशा देगा।”

इमरान और उसके दोस्तों ने यह सुनकर भय से थरथराते हुए अघोरी की ओर देखा। अघोरी ने त्रिशूल उठाते हुए कहा, “यह समय निर्णायक है। नागराज के क्रोध को शांत करना अब केवल तुम्हारे बलिदान पर निर्भर करता है।”

नागराज की आँखों से अंगारों जैसी चमक निकली, और उसने गर्जना की, “मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ, इमरान।

इमरान की माँ, जो उस समय कुंभ में गंगा स्नान के लिए आई हुई थी, यह सब देख रही थी। वह दौड़ते हुए इमरान के पास पहुँची और उसे गले लगाकर रो पड़ी। “नहीं, बेटा! मैं तुझे खो नहीं सकती। मैंने तुझे अपनी जान से बढ़कर पाला है। मुझे छोड़कर मत जा।”

इमरान की आँखें भीग गईं। उसने अपनी माँ के आँसू पोंछते हुए कहा, “माँ, मैं नहीं चाहता कि तुम मुझे खोओ। लेकिन अगर मेरे जाने से पूरी सृष्टि बच सकती है, तो यह मेरा कर्तव्य है।

उसकी माँ ने ज़मीन पर गिरते हुए कहा, “हे गंगा माँ, मेरे बेटे को बचा लो। उसे यह सब क्यों सहना पड़ रहा है?”

पास खड़े लोग भी यह दृश्य देखकर रो पड़े। हर किसी की आँखों में इमरान के लिए करुणा और दुःख था।

इमरान ने गंगा की ओर कदम बढ़ाया। जैसे ही उसने गंगा के जल में प्रवेश किया, चारों ओर बिजली कड़कने लगी। गंगा के बीच से एक स्त्री आकृति प्रकट हुई। वह वही गंगा थी, जिसने इमरान को बलिदान के लिए चुना था।

गंगा ने कहा, “तुमने जो साहस दिखाया है, वह तुम्हारे भीतर छुपे शिवत्व को दर्शाता है। लेकिन याद रखना, यह बलिदान केवल एक माध्यम है। यह तुम्हारी आत्मा को सृष्टि के साथ जोड़ देगा।”

तभी, गंगा के जल से एक अद्भुत दृश्य प्रकट हुआ। जल के भीतर, शिव का नटराज रूप दिखा, और उनके चारों ओर तेजस्वी प्रकाश फैलने लगा। नटराज की आँखें बंद थीं, लेकिन उनकी उपस्थिति इतनी भव्य और रहस्यमयी थी कि हर कोई डर और भक्ति से झुक गया।

गंगा ने इमरान की ओर देखा और कहा, “अब तुम्हें सृष्टि के कल्याण के लिए इस जल में समर्पित होना होगा। लेकिन इससे पहले, मैं तुम्हें सच्चाई दिखाऊँगी।

गंगा ने इमरान को जल के भीतर खींच लिया। जल के भीतर, इमरान ने अपने जीवन की एक नई सच्चाई देखी। उसने देखा कि उसका जन्म शिव की विशेष योजना का हिस्सा था।

तभी, गंगा ने कहा, “तुम केवल एक मानव नहीं हो, इमरान। तुम्हारे भीतर वह शक्ति है, जो सृष्टि के संतुलन को फिर से स्थापित कर सकती है। लेकिन यह शक्ति जागृत करने के लिए तुम्हें अपने भीतर के अंधकार से लड़ना होगा।”

इमरान ने गहरी साँस लेते हुए कहा, “मैं तैयार हूँ।”

गंगा ने कहा, “तुम्हारा बलिदान केवल शुरुआत है। लेकिन सृष्टि का अंत या पुनर्जन्म एक अन्य रहस्य पर निर्भर करता है, जो अब तक छुपा हुआ है। यह रहस्य नागराज और शिव के बीच की कड़ी है।

गंगा की यह बात सुनकर इमरान के चेहरे पर आश्चर्य और भय दोनों आ गए। उसने पूछा, “यह कड़ी कौन है?”

गंगा ने धीमे स्वर में कहा, “यह रहस्य तब खुलेगा, जब तुम अपने बलिदान के साथ सृष्टि को शिव को सौंप दोगे।”


अगला अध्याय: “शिव और नागराज का अंतिम संवाद”

क्या इमरान का बलिदान सृष्टि को बचा पाएगा? नागराज और शिव के बीच की कड़ी का रहस्य क्या है? इन सभी सवालों का उत्तर अगले अध्याय में मिलेगा।

क्या आप इस रहस्यमयी कथा का अंतिम रहस्य जानने के लिए तैयार हैं?

गंगा के तट पर हजारों लोग खड़े थे, लेकिन उनकी आँखों में भय और बेचैनी थी। इमरान, जो गंगा के जल में खड़ा था, उसकी माँ किनारे पर बैठी रो रही थी। उसने रोते हुए कहा, “हे गंगा माँ, मेरे बेटे को बचा लो। उसका दोष केवल इतना है कि वह अज्ञानी था। यह बलिदान क्यों?”

भीड़ में हर कोई यह दृश्य देखकर भावुक हो गया। एक वृद्ध साधु ने कहा, “जब एक माँ का दिल रोता है, तो गंगा भी अपनी लहरों को थाम लेती है।”

इमरान ने अपनी माँ की ओर देखा। उसकी आँखें भरी हुई थीं, लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब-सा संतोष था। उसने धीमे स्वर में कहा, “माँ, यह मेरी नियति है। अगर मेरे जाने से सृष्टि बच सकती है, तो मैं इसे खुशी-खुशी स्वीकार करता हूँ।

तभी, आसमान में तेज गड़गड़ाहट हुई। बादल घने हो गए और पूरी कुंभ नगरी में अंधकार छा गया। गंगा का जल उफान मारने लगा, और उसमें से लाल रोशनी निकलने लगी।

लोग डरकर तितर-बितर होने लगे। गंगा के जल में से एक विशाल नाग की आकृति प्रकट हुई। वह नागराज थे, उनकी आँखों से आग की लपटें निकल रही थीं। उन्होंने गहरी और भयंकर आवाज़ में कहा, “सृष्टि का संतुलन बिगड़ चुका है। अब केवल एक ही समाधान है। यह मानव, जिसे मैंने चुना है, इस अस्थिरता को ठीक करेगा। लेकिन क्या वह तैयार है?”

भीड़ में सन्नाटा छा गया। हर कोई नागराज के प्रकोप से काँप रहा था।

इमरान ने काँपते हुए गंगा के जल में कदम बढ़ाया। उसकी माँ किनारे पर गिर पड़ी। उसने ज़मीन पर सिर पटकते हुए रोते हुए कहा, “हे शिव! यह अन्याय है। मैंने अपने बेटे को इस दिन के लिए नहीं पाला। अगर बलिदान देना है, तो मेरी जान ले लो। लेकिन मेरे बेटे को छोड़ दो!”

इमरान के दोस्तों ने उसकी माँ को संभाला, लेकिन उनके चेहरे पर भी आँसू थे। आरिफ ने कहा, “हमने जो किया, उसकी सजा हमारे दोस्त को मिल रही है। अगर हमें भी अपने प्रायश्चित का अवसर मिले, तो हम भी बलिदान देने को तैयार हैं।”

इमरान ने गहरी साँस ली और गंगा की ओर देखा। उसने धीमे स्वर में कहा, “शिव, अगर यह आपका आदेश है, तो मैं इसे खुशी से स्वीकार करता हूँ।

तभी, गंगा के बीच से तेज प्रकाश निकला। वह प्रकाश इतना प्रचंड था कि हर कोई अपनी आँखें बंद करने पर मजबूर हो गया। प्रकाश के बीच से एक भव्य आकृति प्रकट हुई। यह शिव का नटराज रूप था।

शिव की भव्यता को देखकर लोग दंडवत हो गए। नटराज रूप ने डमरू बजाना शुरू किया, और उसकी गूँज ने पूरी सृष्टि को कंपा दिया। नागराज ने उनके सामने झुकते हुए कहा, “प्रभु, मैंने सृष्टि के संतुलन को बनाए रखने के लिए यह बलिदान चुना है। लेकिन यह मानव तैयार नहीं है।”

शिव ने अपनी आँखें खोलीं। उनकी आँखों में अनंत गहराई और शक्ति थी। उन्होंने गहरी आवाज़ में कहा, “यह मानव केवल माध्यम है। सृष्टि का संतुलन उसके आत्मबल पर निर्भर करता है। अगर वह अपने भीतर के अंधकार को हराने में सफल हो गया, तो सृष्टि बच जाएगी। लेकिन अगर नहीं, तो सबकुछ समाप्त हो जाएगा।

शिव के शब्द सुनकर इमरान ने पूछा, “प्रभु, मैं अपने भीतर के अंधकार से कैसे लड़ूँ? मुझे मार्गदर्शन दीजिए।”

शिव ने कहा, “तुम्हारे भीतर वही शक्ति है, जो नागराज के भीतर है। लेकिन इसे जागृत करने के लिए तुम्हें अपनी सबसे बड़ी कमजोरी का सामना करना होगा। यह तुम्हारे भीतर छुपा हुआ अज्ञान और भय है।”

नागराज ने फुफकारते हुए कहा, “अगर यह मानव असफल हुआ, तो मैं इस सृष्टि को नष्ट कर दूँगा।”

शिव ने गंगा की ओर इशारा किया। गंगा के जल से एक और आकृति प्रकट हुई। वह एक युवा साधु की थी, जिसके हाथों में त्रिशूल था। शिव ने कहा, “यह वही है, जो तुम्हारी परीक्षा का अगला चरण है।”

युवा साधु ने इमरान की ओर देखा और कहा, “तुम्हें मेरे साथ गंगा की गहराइयों में उतरना होगा। वहाँ तुम्हें अपने अस्तित्व के सबसे बड़े रहस्य का सामना करना पड़ेगा।”


अगला अध्याय: “गंगा की गहराई और आत्मा का रहस्य”

क्या इमरान अपने भीतर के अंधकार को हराकर सृष्टि को बचा पाएगा? गंगा की गहराइयों में छुपा हुआ रहस्य क्या है? और शिव का यह युवा साधु कौन है? इन सवालों के जवाब अगले अध्याय में।

क्या आप इस रहस्य को जानने के लिए तैयार हैं?

गंगा के तट पर हजारों श्रद्धालु इकट्ठा थे, लेकिन हर चेहरा भय और अधीरता से भरा हुआ था। इमरान गंगा के जल में खड़ा था, और उसकी माँ किनारे पर बेसुध पड़ी थी। आरिफ और बाकी दोस्त उसे संभालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनके अपने चेहरे आँसुओं से तर थे।

इमरान ने गंगा की ओर देखते हुए कहा, “मुझे लगा था कि मेरा जीवन साधारण है, लेकिन यह सब जानने के बाद, मैं टूट गया हूँ। मेरे परिवार, मेरे दोस्तों का क्या होगा? मैं उन्हें छोड़कर कैसे जा सकता हूँ?”

भीड़ में खड़े एक वृद्ध साधु ने कहा, “जब एक इंसान खुद को सृष्टि के लिए समर्पित करता है, तो उसका जीवन शिव की शक्ति का हिस्सा बन जाता है। यह बलिदान तुम्हें अमर बना देगा, इमरान।”

इमरान की आँखों से आँसू गिरने लगे। उसने गहरी साँस ली और गंगा के भीतर कदम बढ़ाया।

जैसे ही इमरान गंगा की गहराइयों में उतरने लगा, पानी की सतह पर अजीब हलचल शुरू हो गई। पानी में नागों की आकृतियाँ बनती और गायब होती रहीं। एक तेज गर्जना हुई, और गंगा का जल लाल हो गया।

तभी, जल के भीतर से नागराज की आकृति प्रकट हुई। उन्होंने गुस्से में कहा, “क्या तुम सच में तैयार हो, मानव? तुम्हारे भीतर अब भी भय है। यह भय तुम्हें नष्ट कर देगा।”

इमरान ने काँपते हुए जवाब दिया, “मैं शिव के आदेश को स्वीकार करता हूँ। अगर मेरा बलिदान इस सृष्टि को बचा सकता है, तो मैं तैयार हूँ।”

नागराज ने जोर से फुफकारा, और गंगा का पानी जैसे उबलने लगा। लोग तट पर खड़े यह दृश्य देखकर भयभीत हो गए।

इमरान की माँ, जो अब तक बेहोश थी, अचानक होश में आई। उसने इमरान को गंगा में उतरते देखा और चिल्लाकर कहा, “नहीं, मेरे बेटे को मत ले जाओ! शिव, आप इतने निर्दयी कैसे हो सकते हैं? यह सब क्यों?”

वह पानी में कूदने की कोशिश करने लगी, लेकिन आरिफ और बाकी दोस्तों ने उसे रोका। आरिफ ने आँसू बहाते हुए कहा, “आंटी, अगर हम इसे रोकेंगे, तो सृष्टि नष्ट हो जाएगी। इमरान सृष्टि को बचाने के लिए चुना गया है।”

यह सुनकर उसकी माँ ने ज़मीन पर गिरते हुए कहा, “हे गंगा माँ, अगर यह उसका भाग्य है, तो मेरी प्रार्थना है कि उसे शांति मिले।

इमरान गंगा की गहराइयों में समा गया। जैसे ही उसने अंतिम कदम उठाया, पानी पूरी तरह शांत हो गया। चारों ओर अजीब-सी शांति छा गई। तभी, गंगा के जल से तेज प्रकाश निकलने लगा।

प्रकाश के भीतर, शिव का नटराज रूप और नागराज की आकृति एक साथ प्रकट हुई। शिव ने गहरी आवाज़ में कहा, “यह मानव अपनी आत्मा को सृष्टि के लिए समर्पित कर चुका है। अब समय है सृष्टि के संतुलन को पुनः स्थापित करने का।”

इमरान का शरीर प्रकाश में बदलने लगा। उसने गंगा के भीतर एक विशाल मंदिर देखा, जिसमें अनगिनत त्रिशूल और डमरू रखे थे। मंदिर के बीचों-बीच एक जलकुंड था, जिसमें शिव की आँखें प्रकट थीं।

इमरान ने शिव की ओर देखते हुए कहा, “क्या यह अंत है?”

शिव ने जवाब दिया, “यह अंत नहीं, यह आरंभ है। तुम सृष्टि का वह हिस्सा बनोगे, जो इसे जीवित रखेगा।

गंगा का जल धीरे-धीरे शांत हो गया। नागराज की आकृति गायब हो गई। शिव का नटराज रूप भी प्रकाश में विलीन हो गया।

किनारे पर खड़े लोग यह सब देखकर स्तब्ध थे। इमरान की माँ ने अपने बेटे को पुकारते हुए गंगा में देखा, लेकिन वहाँ केवल शांति थी।

अघोरी, जो अब तक मौन थे, ने कहा, “यह बलिदान सृष्टि को बचाने के लिए आवश्यक था। लेकिन अभी एक रहस्य और बाकी है।”

आरिफ ने पूछा, “क्या रहस्य, महाराज?”

अघोरी ने गहरी आवाज़ में कहा, “सृष्टि का संतुलन केवल इमरान के बलिदान से संभव हुआ है। लेकिन शिव और नागराज के बीच की कड़ी अभी तक छुपी हुई है। यह कड़ी सृष्टि के भविष्य को तय करेगी।”

कहानी यहाँ समाप्त नहीं होती। महा कुंभ के इस अध्याय के बाद, एक नई यात्रा शुरू होती है। क्या वह कड़ी शिव और नागराज को जोड़ती है, या सृष्टि के नए प्रलय का संकेत है?

यह अंत, एक नए आरंभ की ओर इशारा करता है। सृष्टि का रहस्य अनंत है।

आपने इस यात्रा का हिस्सा बनकर सृष्टि के गूढ़ सत्य को जाना। शिव की महिमा और गंगा की पवित्रता हमेशा सबको दिशा देती रहे। हर अंत एक नई शुरुआत है।