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एक पुस्तक ही नहीं, श्रीराम कार्य में सहायक हुई भूमिकाओं का चित्रण है ‘रघु राम हनुमंत गाथा’

(raghu ram hanuman gatha )अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर प्रभु श्री राम और उनके भव्य मंदिर से जुड़े प्रमुख देवताओं, संतों, ग्रंथों, कवियों, जन प्रतिनिधियों और उनसे जुड़ी प्रमुख घटनाओं का अद्भुत संक्षिप्त वर्णन, लेखक पवन बजाज ने अपनी इस पुस्तक में किया है दुर्लभ घटनाओं का संकलन

इंदौर. (Indore) सनातन संस्कृति और भारत देश की गौरवशाली पौराणिक परंपरा में भगवान श्री राम का अद्वितीय स्थान है। अयोध्या में जन्मे प्रभु श्री राम हमारे देश ही नहीं दुनिया भर में घर – घर में विराजमान हैं और जन – जन के हृदय में बसते हैं। यही कारण है कि भगवान श्री राम के नाम के बगैर भारत देश की कल्पना अधूरी सी लगती है। (raghu ram hanuman gatha) भगवान विष्णु का अवतार यानी स्वयं भगवान होते हुए भी उन्होंने अपने सभी कार्य आम लोगों की सहायता से पूरे किए। एक आम आदमी की तरह, भगवान की तरह नहीं। सर्वशक्तिमान होते हुए भी वे सर्वोच्च समर्पण भाव के साथ रहे।

भगवान के कार्य सफल करने वाली भूमिकाओं का संकलनraghu ram hanuman gatha

त्रेता युग में जन्म लेने के बाद से जल समाधि लेने तक उनके सभी कार्यों को सफल बनाने में कई अहम किरदार रहे। हनुमानजी तो श्रीराम के वाहक थे ही, दूसरे कई चरित्र और भी थे। कुछ देवी, देवता थे तो कुछ सामान्य मनुष्य और अन्य प्राणी। 1528 में मंदिर तोड़े जाने के बाद से लेकर अब फिर से दिव्य मंदिर बनाए जाने और उनकी प्राण प्रतिष्ठा होने तक में भी कई स्थानों, ग्रंथों, लोगों ने भूमिका निभाई। यह भी तो श्री राम का ही कार्य था, जो अलग-अलग चरणों में कई लोगों की भूमिकाओं और समर्पण से पूरा हुआ। इन सभी स्थानों, लोगों, घटनाओं का संकलन इस पुस्तक ‘रघु राम हनुमंत गाथा” में किया गया है।

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वेदों, उपनिषदों, ग्रंथों पर तीन वर्ष के शोध के बाद लिखी गई पुस्तक

लेखक पवन बजाज ने बताया कि भगवान होते हुए भी प्रभु श्री राम हमेशा मर्यादा में रहे और मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। मानव जीवन को जीने के सर्वश्रेष्ठ आदर्श प्रस्तुत करने के कारण ही श्री राम, रोम – रोम में बसे हैं। त्रेता युग से लेकर कलियुग तक राम कार्य में योगदान देने वाली भूमिकाओं को संक्षिप्त में आम लोगों तक पहुंचाने के लिए ही यह पुस्तक लिखी गई है।
श्री बजाज ने कहा कि ‘यह एक संकलन है जिसमें श्री राम के जन्म, उनके जीवन, राजपाट, समाध्ाि, जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़ने के बाद से आज फिर से मंदिर बनाने और राम लला के विराजने तक के महत्वपूर्ण अंशों को प्रस्तुत किया गया है। इस संकलन में वेदों, उपनिषदों, ग्रंथों, रामायणों, कवियों, संतों, अन्य संकलनकर्ताओं और लेखकों का भी सहयोग लिया गया है। तीन वर्षों के शोध के बाद इस पुस्तक को लिखा जा सका है।

27 अध्याय में हर किरदार का संक्षिप्त वर्णनraghu ram hanuman gatha

इस पुस्तक को 27 अलग-अलग अध्याय के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अयोध्या के गौरवशाली चित्रण के साथ प्रारंभ होने वाली इस पुस्तक में रघुवंश के साथ प्रभु श्री राम के अवतार लेने का वर्णन किया गया है। प्रभु के समस्त कार्य सफल बनाने वाले राम भक्त श्री बजरंग बली की भक्ति, शक्ति और समर्पण का बखान हनुमत गाथा में किया गया है। एक ओर देव भाषा संस्कृत का महत्व बताते हुए आदि शंकराचार्य और जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य जी महाराज की विलक्षण स्मरण शक्ति का वर्णन किया गया है तो दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ गोरक्षनाथ पीठ का परिचय भी शामिल किया गया है। श्री राम जन्म से लेकर कलियुग में फिर मंदिर बनने और भगवान के विराजने तक के राम कार्य सफल बनाने वाले सभी व्यक्ति, संगठन, नगर, ग्रंथ और अभियान तक को इसमें शामिल कर संक्षिप्त वर्णन किया गया है।

5 शताब्दी का संघर्ष भीraghu ram hanuman gatha

इसी क्रम में रामलला जन्मभूमि मुक्ति अभियान की 5 शताब्यिों के संघर्ष का वर्णन, अयोध्या मंदिर भूमि पूजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डॉ. मोहन भागवत के उद्बोधन, हनुमान चालीसा, राम राज्य की स्थापना, राम गमन पथ, गया श्राद्ध, वाल्मीकि रामायण, विभिन्न रामायण, संत तुलसीदास गोस्वामी, राघवयादवीयम्, देवी अहिल्या बाई होल्कर, निराला के राम, भारत के प्रमुख राम मंदिर, रामलीला, गीता प्रेस गोरखपुर, श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार (भाई जी), निर्देशक श्री रामानंद सागर का परिचय, वर्णन और विशेष व्याख्या अति संक्षिप्त रूप में की गई है। पुस्तक का अंतिम अध्याय ‘मेरी माँ – मानस से मंदिर” संकलनकर्ता पवन बजाज ने अपनी माँ को समर्पित किया है। इसमें लेखक ने अपने संपूर्ण जीवन, शरीर, विचार, व्यवहार और संस्कार के लिए माँ के प्रति आभार प्रकट करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है। (raghu ram hanuman gatha)

लेखक परिचय :raghu ram hanuman gatha

लेखक पवन बजाज एक सफल बिजनेसमैन हैं। शास्त्रों, वेदों, उपनिषदों को पढ़ना और उनके ज्ञान के व्यावहारिक पक्ष की संक्षिप्त व्याख्या करने में इनकी गहरी रूचि है। श्री बजाज पहले भी इस तरह की कुछ किताबें लिख चुके हैं। जो एक – एक कर लोगों के बीच लोकार्पित कर पढ़ने के लिए उपलब्ध करवाई जाएगी। श्री बजाज का जन्म राजस्थान के चुरू जिले के लालगढ़ गांव में हुआ। जन्म के आठ महीने बाद ही उनकी माँ श्री बैकुंठ धाम चली गई और लालन – पालन दादी ने किया। पारिवारिक माहौल में ही शिक्षा के साथ संस्कार भी मिले और विचारों ने एक नया मार्ग तलाशा। (raghu ram hanuman gatha)  कोलकाता विश्वविद्यालय से बीकॉम करने के बाद उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढाई की और खुद का व्यापार शुरू किया। आजीविका के लिए जोधर, इंदौर के साथ अलग-अलग शहरों में रहते हुए भी वे धर्म, इतिहास, अर्थशास्त्र से जुड़े विषयों पर शोध करते रहे। वेदों और शास्त्रों से जो ज्ञान उन्होंने हासिल किया उसे अब शब्दों में पिरोकर वे जनता को समर्पित कर रहे हैं।

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