संभल का एक छोटा सा गांव, वर्षों से गरीबी और कठिनाईयों से जूझ रहा था।

वहां के लोग दिन-रात मेहनत करते थे, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था।

गांव में एक प्राचीन मंदिर था, जिसे लोग केवल पूजा-पाठ के लिए जानते थे।

एक दिन, गांव के कुछ बच्चे मंदिर के पास खेल रहे थे।

खेलते-खेलते उनका एक पत्थर मंदिर के पुराने हिस्से में गिरा, और वहां से एक हल्की आवाज आई।

गांव के बुजुर्गों ने बताया कि यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है और इसके नीचे एक प्राचीन खजाना छिपा हो सकता है।

गांव वालों ने मिलकर मंदिर के उस हिस्से को खोदना शुरू किया।

कई घंटे की मेहनत के बाद, उन्होंने एक लोहे का बड़ा सा संदूक निकाला।

संदूक खोलते ही सभी की आंखें चमक उठीं। उसमें सोने-चांदी के सिक्के, गहने, और प्राचीन मूर्तियां थीं।

गांव के मुखिया ने सभी को शांत किया और कहा, "यह खजाना हमारे गांव के लिए ईश्वर का वरदान है। इसे हमें सही तरीके से इस्तेमाल करना होगा।"

मुखिया ने यह फैसला लिया कि इस खजाने से गांव के हर घर को मदद दी जाएगी।