विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है।
विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है।
दूसरी ओर बद्रीनाथ धाम है जहां भगवान विष्णु विश्राम करते हैं।
दूसरी ओर बद्रीनाथ धाम है जहां भगवान विष्णु विश्राम करते हैं।
कहते हैं कि सतयुग में बद्रीनाथ धाम की स्थापना नारायण ने की थी
कहते हैं कि सतयुग में बद्रीनाथ धाम की स्थापना नारायण ने की थी
पांडव कथा : कहा जाता है जब पांडवों को स्वर्गप्रयाण के समय शिवजी ने भैंसे के स्वरूप में दर्शन दिए थे जो बाद में धरती में समा गए लेकिन पूर्णतः समाने से पूर्व भीम ने उनकी पुंछ पकड़ ली थी।
पांडव कथा : कहा जाता है जब पांडवों को स्वर्गप्रयाण के समय शिवजी ने भैंसे के स्वरूप में दर्शन दिए थे जो बाद में धरती में समा गए लेकिन पूर्णतः समाने से पूर्व भीम ने उनकी पुंछ पकड़ ली थी।
जिस स्थान पर भीम ने इस कार्य को किया था उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है।
जिस स्थान पर भीम ने इस कार्य को किया था उसे वर्तमान में केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाता है।
एवं जिस स्थान पर उनका मुख धरती से बाहर आया उसे पशुपतिनाथ (नेपाल) कहा जाता है।
एवं जिस स्थान पर उनका मुख धरती से बाहर आया उसे पशुपतिनाथ (नेपाल) कहा जाता है।
केदारनाथ और पशुपति नाथ मिलकर पूर्ण शिवलिंग बनता है : केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
केदारनाथ और पशुपति नाथ मिलकर पूर्ण शिवलिंग बनता है : केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
इसे अर्द्धज्योतिर्लिंग कहते हैं।
इसे अर्द्धज्योतिर्लिंग कहते हैं।
नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को मिलाकर यह पूर्ण होता है।
नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को मिलाकर यह पूर्ण होता है।
यहां स्थित स्वयंभू शिवलिंग अतिप्राचीन है।
यहां स्थित स्वयंभू शिवलिंग अतिप्राचीन है।
यहां के मंदिर का निर्माण जन्मेजय ने कराया था और जीर्णोद्धार आदिशंकराचार्य ने किया था।
यहां के मंदिर का निर्माण जन्मेजय ने कराया था और जीर्णोद्धार आदिशंकराचार्य ने किया था।