एक गाँव में एक युवती रहती थी, जो अपने जीवन में दुखी और असंतुष्ट थी।

हर प्रयास के बावजूद उसे सुख और शांति नहीं मिल रही थी।

एक दिन, उसकी मुलाकात एक साधु से हुई, जो श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे।

साधु ने उसकी समस्या सुनकर उसे श्रीकृष्ण की भक्ति में ध्यान लगाने और हर दिन "श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी" का जाप करने की सलाह दी।

युवती ने साधु की बात मानी और हर सुबह मंदिर में जाकर श्रीकृष्ण की पूजा करने लगी।

धीरे-धीरे उसके मन का तनाव कम होने लगा।

उसकी सोच सकारात्मक हो गई, और वह अपने जीवन को एक नई दृष्टि से देखने लगी।

कुछ ही महीनों में, उसके जीवन में बदलाव आने लगे।

साधु ने उसे सिखाया था कि सच्चा सुख बाहरी चीज़ों में नहीं, बल्कि भगवान की भक्ति और आत्मिक शांति में है।

युवती ने यह समझा कि श्रीकृष्ण की भक्ति ने न केवल उसे सुख का मार्ग दिखाया, बल्कि उसे जीवन में सच्चा उद्देश्य भी दिया।