प्रयागराज का कुंभ मेला क्यों खास होता है

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हर साल कुंभ का मेला लगता है।  आखिर क्यों खास होता है प्रयागराज का कुंभ मेला ?

प्रयागराज संगम

हर साल प्रयागराज संगम में भारी संख्या में श्रद्धालु कल्पवास करने आते है।  प्रयागराज में जनवरी से लेकर मार्च के दौरान भारी संख्या में लोग इन संगम का स्नान करते है।

भारी संख्या में श्रद्धालु

कल्पवास के दौरान श्रद्धालु गंगा स्नान और पुण्य दान भी करते है।  कल्पवासी भगवान का नाम जपते है और वही पर खाना बनाकर खाते और खिलते है। 

कल्पवास

प्रयागराज के संगम में तीन नदियों का मेल होता है।  यहाँ पर गंगा , यमुना और सरस्वती का बेहद खास मिलन होता है।  संगम तीन नदियों के बीच होता है। यहाँ स्नान करने का भी खास महत्व होता है। 

नदियों का मिलन

पौराणिक कथाओं के अनुसार , भगवान विष्णु अमृत से लबालब भरा बर्तन लेकर जा रहे थे और इसी दौरान असुरो से छीना - झपटी में अमृत की चार बूंदे गिर गई थी। 

पौराणिक कथा

अमृत की चार बूंदे प्रयाग , नासिक , हरिद्वार और उज्जैन के तीर्थ स्थानों में गिरी थी। यह स्थान बेहद सिद्ध माने जाते है।

अमृत की चार बूंदे

सरकार इस मेले में कल्पवास करने वाले कल्पवासियों और घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए खास इंतजाम करती है। प्रशासन खुद लोगो की सेवा में तत्पर रहता है।

खास इंतजाम

इस कुंभ मेले में बड़े - बड़े  ऋषियो - महर्षियों का डेरा लगता है , हर दिन भजन और कीर्तन से व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो जाता है। हर साल कुम्भ में स्नान - दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

बड़े - बड़े ऋषियो - महर्षियों का डेरा