धर्म कथाएं

दहकता हुआ चेहरा, बदन पर चुभे लोहे के हुक! जानिए इस त्योहार में क्यों करते हैं भक्त ये दर्दनाक अनुष्ठान?

25 जनवरी 2024, पौष पूर्णिमा के साथ ही पुषम नक्षत्र के पावन दिन, दक्षिण भारत के आंगन में धूम मचा रहा है भगवान मुरुगन की विजय का उत्सव – थाईपुसम! यह पर्व भक्तों की श्रद्धा और भगवान मुरुगन के साहस की अमर कहानी है, जहां असुरपादमन के संहार के साथ इस दुनिया में शांति का आगमन हुआ।

 

थाईपुसम, जिसे ‘कवड़ी अट्टम’ के नाम से भी जाना जाता है, में भक्त श्रद्धा से सजे ‘कवड़ी’ नामक संरचनाओं को सिर पर उठाकर जुलूस में शामिल होते हैं। ये संरचनाएं भगवान मुरुगन द्वारा युद्ध में प्रयुक्त भाले की प्रतिकृति होती हैं, जो उनके विजय का प्रतीक है। उपवास, प्रार्थना और पवित्रता के अनुष्ठानों के जरिए श्रद्धालु अपनी भक्ति अर्पित करते हैं।

 

इस साल, 25 जनवरी को सुबह 8:16 बजे से शुरू होकर 26 जनवरी को सुबह 10:28 बजे तक, यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। थाईपुसम के रंगीन जुलूस, भक्तों की उत्साहित आवाजें, और मंदिरों की पवित्रता का अनुभव करने के लिए दक्षिण भारत की ओर चलें! यह पर्व न सिर्फ भगवान मुरुगन की जीत का जश्न है, बल्कि आस्था, समर्पण और आशा का भी प्रतीक है।

 

तो आइए, दिल खोलकर इस पर्व को मनाएं और भगवान मुरुगन का आशीर्वाद लें!

Related Articles

Back to top button