मथुरा के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज को कौन नहीं जानता? देश-विदेश से आने वाले भक्त उनके दर्शन के लिए वृंदावन में जुटते हैं, जहां उनकी पदयात्रा की धूम हर साल एक नए उत्साह के साथ देखने को मिलती है। हाल ही में इस पदयात्रा को लेकर एक घटना ने काफी चर्चा बटोरी। प्रेमानंद महाराज की रात्रि में होने वाली पदयात्रा को लेकर कुछ महिलाओं समेत स्थानीय निवासियों ने कड़ा विरोध प्रकट किया था। विरोध का मुख्य कारण यह था कि रात के लगभग 2 बजे होने वाली पदयात्रा के दौरान आसपास के इलाकों में बहुत शोर-शराबा होता था। भक्तों के द्वारा ढोल-नगाड़ों, बैंड बाजे, आतिशबाजी और लाउडस्पीकर पर भजनों की धुन बजती रहती थी, जिससे आसपास के निवासियों के रोजमर्रा के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था।
इस विरोध के बाद, प्रेमानंद महाराज ने न सिर्फ अपने भक्तों की भावनाओं को समझा बल्कि स्वयं भी अपने स्वास्थ्य और भीड़ के ध्यान में रखते हुए पदयात्रा में बदलाव करने का निर्णय लिया। पहले जिस मार्ग से पदयात्रा गुजरती थी, उसी मार्ग पर चलने से कुछ असुविधा हो रही थी। इसलिए उन्होंने न केवल पदयात्रा का समय बदलकर रात 2 बजे से सुबह 4 बजे कर दिया, बल्कि अपने काफिले को भी एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के सामने से गुजरने के बजाय प्रेम मंदिर के सामने से होते हुए श्रीराधा केलिकुंज तक मार्ग निर्देशित किया। इस परिवर्तन से स्थानीय लोगों की असमंजस और असुविधा को ध्यान में रखते हुए संत ने कहा कि यदि किसी को भी किसी प्रकार की असुविधा होती है, तो वे सीधे उनके पास आ सकते हैं।
हालांकि, पदयात्रा के दौरान हुई इस असमंजस ने वृंदावन के दुकानदारों और निवासियों में भी हलचल मचा दी। कई दुकानदारों ने अपने-अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर स्पष्ट संदेश लगा दिया कि “NRI Green सोसाइटी वालों को यहाँ सामान नहीं मिलता”, जिससे यह संदेश फैल गया कि विरोध के कारण कुछ लोगों ने अपने व्यापार में भी हस्तक्षेप करने की कोशिश की है। इन घटनाओं से प्रभावित होकर एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के कुछ प्रमुख सदस्यों ने अंततः प्रेमानंद महाराज की शरण में जाकर माफी मांगने का निश्चय किया।
सोसाइटी के अध्यक्ष, जो प्रेमानंद महाराज के प्रति वर्षों से श्रद्धा और लगाव रखते थे, अपने अनुभव साझा करते हुए बोले कि “गुरु जी, मैं आपको लगभग 12-14 सालों से जानता हूँ। दस साल पहले जब आप हर दिन परिक्रमा करते थे, तब मैं भी हर दिन आपके दर्शन के लिए आपके पास आता था। आज, भीड़ और हालात के कारण मेरा आना जाना कम हो गया है, परंतु मेरे दिल में आपकी स्मृति उतनी ही पवित्र है।” उन्होंने यह भी कहा कि वे हमेशा से आपके प्रति आस्था रखते आए हैं और उनका मानना है कि यदि किसी भी व्यक्ति को आपके पदयात्रा के दौरान कोई असुविधा महसूस होती है, तो यह केवल परिस्थितियों की गलतफहमी है, न कि आपके प्रति विरोध का इरादा।
प्रेमानंद महाराज ने बड़े प्रेमपूर्वक उत्तर दिया, “देखो मेरे प्यारे भक्तों, मेरा उद्देश्य किसी से भी विवाद करना नहीं है। हमारा कार्य केवल सुख, शांति और भक्ति का प्रसार करना है। जब हमने सुना कि किसी को असुविधा हो रही है, तो हमने तुरंत ही अपना मार्ग और समय बदल दिया। हमें न तो किसी का विरोध करना पसंद है और न ही किसी के दिल में कटुता भरना। हमें केवल एकता और प्रेम का संदेश देना है।” इस बात पर सोसाइटी के अध्यक्ष ने आगे कहा कि वे हमेशा से आपके प्रति आस्था रखते आए हैं और आपके पदचिह्नों पर चलना ही उन्हें जीवन की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि उन्हें अफसोस है कि हाल की घटनाओं के कारण कुछ लोग आपको गलत समझ बैठे और उन्होंने उस परिस्थिति में सही दिशा में कदम नहीं उठाया।
इस बीच, सोसाइटी के अध्यक्ष ने यह भी उल्लेख किया कि आजकल कुछ यूट्यूब चैनलों के संचालन में लगे लोग, जिन्हें प्रसिद्धि की लालसा है, उन्होंने ब्रजवासियों का आडंबर बनाकर आपकी यात्रा और आपके कार्यों को गलत तरीके से पेश किया। उन्होंने कहा, “महाराज जी, यूट्यूबर लोग हमारी वास्तविकता को विकृत करके प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आपकी सही छवि और आपके भक्ति मार्ग को जनता के सामने लाने का पूरा प्रयास करना चाहिए।” प्रेमानंद महाराज ने हंसते हुए जवाब दिया, “हाँ, ब्रजवासी तो हमारे आराध्य देवों की तरह हैं। सबको अपने दिल से अपनाने का यही तो संदेश है। यदि किसी को कोई समस्या हो या वे भ्रमित हों, तो वे सीधे मेरे पास आकर समाधान प्राप्त कर सकते हैं।”
इस बीच, सोसाइटी के अध्यक्ष ने कहा कि वे अब किसी भी मंच पर सार्वजनिक रूप से माफी माँगने में संकोच नहीं करेंगे। “हमारी सोसाइटी का हर सदस्य आपको अपना गुरु मानता है। हम सब आपके प्रति आस्था और प्रेम की भावना से ओत-प्रोत हैं। हम चाहते हैं कि इस प्रकार की गलतफहमियों को दूर किया जाए और सब मिलकर एक सुंदर समाज का निर्माण करें।” उन्होंने कहा कि भविष्य में भी, यदि आपको कभी किसी तरह की परेशानी महसूस होती है, तो हम तुरंत ही उस पर ध्यान देंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे।
प्रेमानंद महाराज ने अंत में अपने भक्तों और समाज के सभी सदस्यों से आग्रह किया, “मेरे प्रिय भक्तों, हम सब एक परिवार की तरह हैं। यदि कभी किसी को कोई कष्ट पहुँचे, तो उसे आपसी समझदारी और प्रेम से समाधान निकालें। हमारा उद्देश्य केवल सेवा करना है, किसी का भी हृदय दुखाना नहीं। चलिए, हम सब मिलकर प्रेम और सद्भावना का संदेश फैलाएं।” इस प्रकार, प्रेमानंद महाराज ने अपनी मधुर वाणी और अनुग्रह से न केवल विरोध को समाप्त किया, बल्कि अपने भक्तों के बीच एक नई ऊर्जा और उमंग का संचार भी किया।