जब हजारों लोग विवादित ढ़ांचे में घुसे और कर दिया गया था अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास
हिंसक घटनाओं के बीच चला याचिकाओं का दौर, याचिकाएं कोर्ट में थी और विवादित जगह पर हो गया मंदिर का शिलान्यास
foundation stone of ram temple in ayodhya uttar pradesh अयोध्या राम लला जन्मस्थल को लेकर चल रहे विवाद के बीच याचिकाओं का दौर शुरू हो गया। दोनों ही पक्ष अपने अपने अधिकार की मांग के साथ कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे थे। घटनाक्रम थोड़ा आगे बढ़ा और इसके साथ 1950 में फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो याचिकाएं लगाई गईं। पहली गोपाल सिंह विशारद ने पूजा के अधिका को लेकर थी तो दूसरी में विवादित ढ़ांचे में भगवान राम की मूर्ति रखने की अनुमति मांगी गई थी। कम ही लोगों को पता है कि इन दावों और हिंसा के बीच हजारों लोगों ने एक बार विवादित ढांचे में घुसकर मंदिर का शीलान्यास कर दिया गया था।
बार-बार मांगा अपना अधिकार foundation stone of ram temple in ayodhya
सन् 1959 में निर्मोही अखाड़े ने भी याचिका लगाकर राम लला स्थल का अधिकार मांगा। जबकि 1961 में उत्तर प्रदेश सुन्नाी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी अधिकार प्राप्त करने की याचिका दायर की गई। इस तरह याचिकाएं लगती रहीं और दावे होते रहे। लेकिन एक बड़ा निर्णायक मोड़ 1986 में आया। foundation stone of ram temple in ayodhya इधर विवादित जगह हिंदुओं के लिए खुली, उधर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी गठित हुई, कोर्ट ने 1986 में हिंदुओं के पक्ष में एक फैसला करते हुए सरकार को आदेश दिया कि हिंदू श्रद्धालुओं के लिए विवादित जगह को खोला जाए। इसके बाद हिंदुओं को उक्त स्थान पर जाने और पूजा करने की अनुमति मिली। मुस्लिम समुदाय को यह आदेश रास नहीं आया, इसलिए उन्होंने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी गठित कर दी।
अचानक कर दिया गया शिलान्यास foundation stone of ram temple in ayodhya
दोनों समुदायों के बीच बार बार शांति भंग होती रही और विवाद रूकने की बजाय बजाय बढ़ने लगा। अपने अपने दावों के बीच सन् 1989 में बड़ा कांड हो गया। राम मंदिर का समर्थन करने वाले और अन्य हिंदू संगठनों के हजारों लोग एक दिन अचानक विवादित स्थान पर पहुंच गए और राम जन्म भूमि का शिलान्यास कर दिया गया था। foundation stone of ram temple in ayodhya
इस तरह राम मंदिर निर्माण को लेकर कई प्रयास हुए। हजारों जानें गई, दर्जनों बार हिंसा हुई और कई बार याचिकाएं लगाई गईं। लेकिन सब कुछ बेनतीजा रहीं। आखिरकार 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिंदू पक्ष में आया और अब 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला जन्मभूमि स्थल पर भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है।