5 नवंबर तक रहेगा चातुर्मास, 4 महीने तक शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक काम नहीं होंगे
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 10 जुलाई को है। इसे हरिशयनी या देवशयनी एकादशी कहते हैं। इसी तिथि से चातुर्मास भी शुरू हो जाएगा। यानी चार महीनों तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे।
10 जुलाई को देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही 4 महीने तक शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक काम नहीं किए जाएंगे। हालांकि इन दिनों में खरीदारी, लेन-देन, निवेश, नौकरी और बिजनेस जैसे नए कामों की शुरुआत के लिए शुभ मुहूर्त रहेंगे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस साल भगवान विष्णु 117 दिन योग निद्रा में रहेंगे। इस दौरान संत और आम लोग धर्म-कर्म, पूजा-पाठ और आराधना में समय बिताएंगे। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 10 जुलाई को है।
इसे हरिशयनी या देवशयनी एकादशी कहते हैं। इसी तिथि से चातुर्मास भी शुरू हो जाएगा। यानी चार महीनों तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे। आम बोलचाल और परंपराओं में इसे ही भगवान का सोना कहा जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर जागते हैं। इन चार महीनों में शादी, सगाई और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक काम नहीं होते हैं। सिर्फ पूजा-पाठ, उपासना और साधना ही की जाती है।
देवशयनी और देवउठनी एकादशी
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी और 5 नवंबर को देव उठनी एकादशी रहेगी। इसलिए चातुर्मास 117 दिनों का रहेगा। इन दिनों में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस अवधि में सृष्टि को संभालने और कामकाज संचालन का जिम्मा भगवान भोलेनाथ के पास रहेगा। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान किए जा सकेंगे पर विवाह समेत मांगलिक काम नहीं होंगे।
भगवान विष्णु और शिव पूजा
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि चातुर्मास में पूजा और ध्यान करने का विशेष महत्व है। देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधनी एकादशी तक भगवान विष्णु विश्राम करेंगे। इस दौरान शिवजी सृष्टि का संचालन करेंगे। इन दिनों में शिवजी और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु और शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। विष्णुजी को तुलसी तो शिवजी को बिल्वपत्र चढ़ाने चाहिए। साथ ही ऊँ विष्णवे नम: और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। इन दिनों में भागवत कथा सुनने का विशेष महत्व है। साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करना चाहिए।
117 दिन का चातुर्मास
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 10 जुलाई से 5 नवंबर तक चातुर्मास रहेगा। यानी 118 दिन तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे। इनमें आषाढ़ की एकादशी से पूर्णिमा तक चार दिन, फिर 29 दिन का श्रावण और 30 दिन का भाद्रपद महीना रहेगा। वहीं, अश्विन मास में 29 और कार्तिक मास के 25 दिन रहेंगे। इस तरह 117 दिन का चातुर्मास रहेगा। पिछले साल आश्विन मास का अधिकमास था। इस कारण चातुर्मास चार नहीं पांच महीने का रहा।
खान-पान का रखें विशेष ध्यान
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि चातुर्मास की शुरुआत में बारिश का मौसम रहता है। इस कारण बादलों की वजह से सूर्य की रोशनी हम तक नहीं पहुंच पाती है। सूर्य की रोशनी के बिना हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसी स्थिति में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। खाने में ऐसी चीजें शामिल करें जो सुपाच्य हों। वरना पेट संबंधित बीमारियां हो सकती है।
चातुर्मास की परंपरा
भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि सावन से लेकर कार्तिक तक चलने वाले चातुर्मास में नियम-संयम से रहने का विधान बताया गया है। इन दिनों में सुबह जल्दी उठकर योग, ध्यान और प्राणायाम किया जाता है। तामसिक भोजन नहीं करते और दिन में नहीं सोना चाहिए। इन चार महीनों में रामायण, गीता और भागवत पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथ पढ़ने चाहिए। भगवान शिव और विष्णुजी का अभिषेक करना चाहिए। पितरों के लिए श्राद्ध और देवी की उपासना करनी चाहिए। जरूरतमंद लोगों की सेवा करें।
चातुर्मास में करें पूजा
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि सावन में भगवान शिव-शक्ति की पूजा की जाती है। इससे सौभाग्य बढ़ता है। भादौ में गणेश और श्रीकृष्ण की पूजा से हर तरह के दोष खत्म होते हैं। अश्विन मास में पितर और देवी की आराधना का विधान है। इन दिनों पितृ पक्ष में नियम-संयम से रहने और नवरात्रि में व्रत करने से सेहत अच्छी होती है। वहीं, कार्तिक महीने में भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। इससे सुख और समृद्धि बढ़ती है। इन चार महीनों में आने वाले व्रत, पर्व और त्योहारों की वजह से ही चातुर्मास को बहुत खास माना गया है।
नियमों का करें पालन
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि चार माह तक एक समय भी भोजन करना चाहिए। फर्श या भूमि पर ही सोया जाता है। राजसिक और तामसिक खाद्य पदार्थों का त्याग करना चाहिए। 4 माह तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। शारीरिक शुद्धि का विशेष ध्यान रखना चाहिए। रोज स्नान करना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद ध्यान करना चाहिए और रात्रि में जल्दी सो जाना चाहिए।
चातुर्मास के चार महीने
श्रावण: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से श्रावण शुक्ल एकादशी तक (10 जुलाई से 8 अगस्त)
भाद्रपद: श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी से भाद्रपद शुक्ल एकादशी तक (8 अगस्त से 6 सितंबर)
आश्विन: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी से आश्विन शुक्ल एकादशी तक (6 सितंबर से 6 अक्टूबर)
कार्तिक: आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक (6 अक्टूबर से 5 नवंबर)