मध्य प्रदेश में नए साल के जश्न पर हिंदू संगठनों का कड़ा पहरा रहेगा। हिंदू संगठनों ने कडी चेतावनी दी है, नए साल के जश्न के दौरान किसी युवती या महिला के साथ गलत हरकत की गई और नशा किया गया तो खैर नहीं होगी। आपको बता दें कि हर साल नए साल के जश्न के नाम पर सनातन संस्कृति के साथ खिलवाड होता है।
दोस्तों ऐसे में कहा जा सकता है कि महिलाओं और युवतियों के साथ नए साल के जश्न के नाम पर गलत हरकत करने वालों के लिए इस बार नए साल के जश्न पर बैन लगा दिया गया है, वहीं अगर कोई नशा करता पाया गया तो भी हिंदू संगठन के सदस्य उसे माफ नहीं करें। ऐसे में इस पूरे मामले में आप क्या सोचते हैं कमेंट करके जरुर बताए और वीडियो लाइक कीजिए इसके साथ ही आपके अपने चैनल धर्म कथाएं को भी सब्सक्राइब कीजिए
वहीं प्रशासन मौन देखता रहता है, लेकिन इस बार कडी चेतावनी दी गई है अगर किसी ने नए साल के जश्न के नाम पर गलत काम किए तो खैर नहीं होगी।
वीएचपी ने कहा कि यह सनातन संस्कृति ही नहीं बल्कि हिंदू युवकों को नपुंसकर बनाने का बड़ा षड्यंत्र है। बीजेपी ने कहा कि जश्न से परहेज नहीं, लेकिन संस्कृति पर कुठाराघात सहन नहीं होगा। वहीं कांग्रेस ने कहा कि अपने बच्चों को मिशनरी स्कूलों में नहीं सरकारी विद्यालयों में पढाएं फिर विरोध करें।
विश्व हिंदू परिषद के प्रांत प्रचार प्रमुख जितेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि VHP का हमेशा उद्देश्य रहा है कि संस्कृति को बचाएं। 31 दिसंबर की रात में जो पार्टियां होती हैं उनमें अश्लीलता के साथ नशों का भंडार होता है। संगठन के पास यह जानकारी है कि ऐसे ही आयोजनों के जरिए हिंदू युवाओं को टारगेट किया जाता है। ड्रग्स के साथ ऐसे नशे परोसे जाते हैं जिससे की वो नपुंसक हो, यह बडा षडयंत्र है। जो हिंदू आबादी को कम करने के साथ हमारी नस्ल को खराब और कमजोर करने का काम कर रहा है।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसे कई नशे के चीज परोसी जाती हैं, जिनके बारे में समाज को भी जानकारी नहीं है। माता-पिता को चाहिए कि 31 दिसंबर की रात अपने बच्चों से पूछे कि आखिर कहां जा रहे हैं। पाश्चात्य संस्कृति के नाम पर हमारी संस्कृति से खिड़वाड का हम बहिष्कार करेंगे। अश्लीलता के साथ नशे की पार्टियों की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंच अपने स्तर पर कार्रवाई के लिए हम तैयार हैं।
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि जश्न हो या पार्टी…सभी में नियम, कायदों, कानून और संस्कृत का ध्यान रखना चाहिए। किसी तरह की ऐसी हरकतें न हो जो किसी की धार्मिक और सास्कृतिक भावनाओं को आहत करें। बात यह भी है कि भारतीय संस्कृति ही सनातन संस्कृति है। भारत में संस्कृति का ध्यान होना चाहिए। सनातन संस्कृति का सम्मान होना चाहिए। ऐसे आयोजन जिसमें संस्कृति का अपमान हो उसे बचाना भी चाहिए। साथ ही असंवैधिक गतिविधि की जानकारी भी देनी चाहिए। सरकार भी तत्काल कार्रवाई के लिए तत्पर है।
वहीं इस पर कांग्रेस का भी बयान सामने आया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने कहा कि यह सब प्रोपेडेंगा बीजेपी, आरएसएस और उनके अनुषांगिक संगठनों का है। हिंदू संगठन के लोग संस्कृति के नाम पर राजनीति करते हैं। मिशनरी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाते हैं, हिंदी स्कूलों में नहीं…कारण है कि सबको अंग्रेजी भाषा चाहिए और बात रही संस्कृति की तो बीजेपी के नेताओं के संस्कार कई बार सूर्खियों में रहे हैं। जश्न की आजादी संविधान ने दी है। यह सिर्फ बंटवारे और नफरत की सियासत का तरीका है। यह बीजेपी या उससे जुडे संगठन तय नहीं करेंगे कि हम क्या खाएं, क्या पहने, कहा जाए और क्यों न जश्न मनाएं।
नए साल के जश्न को लेकर मध्य प्रदेश में हिंदू संगठनों की सक्रियता एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। हर वर्ष की तरह, इस बार भी इन संगठनों ने चेतावनी जारी की है कि नए साल के उत्सव के दौरान किसी प्रकार की अशिष्टता, असामाजिक गतिविधियों, या सनातन संस्कृति के विपरीत आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेंगे, जिसमें संस्कृति, सामाजिक प्रभाव, और प्रशासनिक जवाबदेही शामिल है।
नए साल का जश्न, जो मुख्यतः पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित है, आज भारत के लगभग हर कोने में मनाया जाता है। डांस पार्टियों, शराब, और अन्य आधुनिक मनोरंजन के साधनों के साथ, यह उत्सव कई बार सीमाएं पार कर जाता है। हिंदू संगठनों का तर्क है कि यह पश्चिमी प्रभाव भारत की सनातन संस्कृति को कमजोर कर रहा है। वे इसे युवा पीढी को अपनी परंपराओं और मूल्यों से भटकाने वाला बताते हैं।
सनातन संस्कृति में पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों का विशेष स्थान है। हिंदू संगठन मानते हैं कि नए साल के नाम पर होने वाले जश्न में अश्लीलता, नशा और अनैतिकता का प्रचार होता है। यह संस्कृति को कमजोर करने और युवाओं को गलत दिशा में ले जाने वाला बताया गया है।
विहिप यानी विश्व हिंदू परिषद ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे सनातन संस्कृति पर हमला बताया है। संगठन का कहना है कि यह सिर्फ मनोरंजन का विषय नहीं है, बल्कि एक साजिश है जो हिंदू युवाओं को नशे और अनैतिकता की ओर धकेलने का प्रयास करती है। वीएचपी ने प्रशासन और समाज को सतर्क रहने का आह्वान किया है ताकि इस प्रकार की गतिविधियों को रोका जा सके।
वीएचपी का दावा है कि इन पार्टियों के जरिए युवाओं को नशे की लत लगाई जाती है और उन्हें अपने मूल्यों से दूर किया जाता है। इसके साथ ही, यह कहा गया है कि इस प्रकार की गतिविधियां हिंदू युवकों को कमजोर करने और उनकी मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव डालने का एक बड़ा षड्यंत्र है।
प्रशासन पर आरोप लगाया जाता है कि वह हर साल इन आयोजनों में ढिलाई बरतता है। हिंदू संगठनों का कहना है कि प्रशासन का मौन रवैया इन गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है। हालांकि, इस बार प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधि की सूचना मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन के लिए यह संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है कि एक ओर नागरिकों को उनकी स्वतंत्रता मिले, वहीं दूसरी ओर समाज में अशांति और असामाजिक गतिविधियों को रोका जा सके।
भाजपा और अन्य हिंदूवादी दलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा ने कहा है कि पार्टी को जश्न मनाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर इसके नाम पर संस्कृति को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया, तो यह अस्वीकार्य होगा।
विपक्षी दल इस मुद्दे पर हिंदू संगठनों की सक्रियता को राजनीतिक स्टंट बताते हैं। उनका कहना है कि यह ध्यान भटकाने की रणनीति है, जो असली मुद्दों से जनता को दूर करती है।
इस मुद्दे पर समाज भी दो ध्रुवों में बंटा हुआ दिखाई देता है। एक वर्ग का मानना है कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है, जबकि दूसरा वर्ग इसे संस्कृति की रक्षा के लिए आवश्यक कदम मानता है।
महिलाओं की सुरक्षा भी इस बहस का एक अहम हिस्सा है। हिंदू संगठन दावा करते हैं कि उनके विरोध का उद्देश्य महिलाओं को जश्न के दौरान होने वाले दुर्व्यवहार से बचाना है।