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रुद्राक्ष धारण की सही विधि एवं महिमा- कपिल शर्मा (काशी) से जानें

भगवान शिव एवं माता पार्वती की प्रसन्नता के लिए एवं भगवान शंकर को जो लोग अपना आराध्य मानते हैं उनके लिए, शक्ति के उपासको के लिए, भगवान गणपति के उपासको के लिए,चारों वर्णों के लिए, एवम स्त्रियों के लिए रुद्राक्ष धारण करना कल्याणकारी माना गया है।

भगवान शिव को प्रिय रुद्राक्ष धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष चतुर्विद पुरुषार्थ को प्रदान करने वाला है।शिव महापुराण विद्येश्वर संहिता के अध्याय 25 में रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन किया गया है।रुद्राक्ष धारण करने से बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है ।भगवान शिव एवं माता पार्वती की प्रसन्नता के लिए एवं भगवान शंकर को जो लोग अपना आराध्य मानते हैं उनके लिए, शक्ति के उपासको के लिए, भगवान गणपति के उपासको के लिए,चारों वर्णों के लिए, एवम स्त्रियों के लिए रुद्राक्ष धारण करना कल्याणकारी माना गया है।
1 से लेकर 14 मुखी तक के रुद्राक्ष होते हैं।रुद्राक्ष का दर्शन,स्पर्श, पूजन एवं धारण करना कल्याणकारी माना गया है।
रुद्राक्ष धारण किए बिना शिव मंत्र का जाप निषेध बताया गया है।एक रुद्राक्ष से लेकर 1100 रुद्राक्ष तक मनुष्य अपने शरीर पर धारण कर सकता है।ब्रह्मचारी साधु, यति,सन्यासी भी अनिवार्य रूप से रुद्राक्ष धारण करें।
किस वर्ण के व्यक्ति को किस रंग का रुद्राक्ष धारण करना चाहिए?यह शिवजी ने माता पार्वतीजी को शिव पुराण के विद्येश्वर संहिता में बताया है-
श्वेत रुद्राक्ष केवल ब्राह्मणों को ही धारण करना चाहिए।गहरे लाल रंग का रुद्राक्ष क्षत्रियों के लिए हितकर है।वेश्यो के लिए पीला रुद्राक्ष उत्तम है,और शूद्रों को काले रंग का रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह वेदोक्त मार्ग है।
रुद्राक्ष धारण करने के एवं अभिमंत्रित करने के वेदोक्त एवं तंत्रोक्त मंत्र भी हैं ।सर्व सामान्य के लिए नमः शिवाय मंत्र से रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है। रुद्राक्ष शिखा पर,मस्तक पर, कंठ में,एवं भुजा पर धारण किया जा सकता है।
रुद्राक्ष धारण करने वाले पुरुष एवं स्त्रियों को अपने खानपान में मदिरा,मांस ,लहसुन,प्याज,अंडा सहिजन,लिसोड़ा, वीडवराह का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह सर्वथा वर्जित है।
रुद्राक्ष पवित्र अवस्था में ही धारण करना चाहिए।रुद्राक्ष लघु शंका एवम दीर्घशंका (मुत्रत्याग एवम शौच त्याग)के समय निकाल देना चाहिए ।रात्रि में सोते समय रुद्राक्ष निकाल देना चाहिए। महिलाओं को मासिक धर्म में 7 दिन रुद्राक्ष निकाल देना चाहिए।जो मनुष्य अपवित्र अवस्था में रुद्राक्ष धारण करता है ,या जो मनुष्य रुद्राक्ष धारण करके मांस,मदिरा,प्याज लहसुन का सेवन करता है वह अमंगल को प्राप्त करता है।
कल्याण की कामना करने वाले पुरुष एवं स्त्रियों को पूर्ण पवित्रता के साथ ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। तभी कल्याण होता है। 1मुखी रुद्राक्ष से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के क्या- क्या महत्व है, यह शिवपुराण में वर्णित है। किंतु विषय यह है कि काल के प्रभाव से जितनी बड़ी मात्रा में रुद्राक्ष बांटे जा रहे हैं एवं क्रय-विक्रय किए जा रहे हैं , क्या वे सभी रुद्राक्ष शुद्ध एवं असली है? क्या वे सभी रुद्राक्ष सही विधि से अभिमंत्रित किए गए हैं? क्या रुद्राक्ष धारण करने वाले सभी लोग भगवान शिव जी द्वारा बताई गई रुद्राक्ष धारण विधि का पालन कर रहे हैं? जिसके कंठ में रुद्राक्ष हो ,मस्तक पर त्रिपुंड हो ,मुख में शिव मंत्र हो,वह सदा सर्वदा पूज्य होता है। किंतु रुद्राक्ष शास्त्रों में वर्णित विधी द्वारा लाया गया हो, अभिमंत्रित किया गया हो एवं उसी विधि द्वारा धारण किया गया हो ।तभी मंगल करता है। किन-किन रुद्राक्ष को धारण करने से क्या-क्या लाभ होता है ?यह हम आपको अगले अंक में बताएंगे
📿📿📿📿📿📿
महादेव आप सभी का कल्याण करें
हर हर महादेव
कपिल शर्मा (काशी)

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