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सूर्य के आद्रा नक्षत्र में आने के कारण होगी अच्छी वर्षा, 6 जुलाई तक आद्रा नक्षत्र में रहेगा सूर्य

सूर्य देव ने 22 जून को नक्षत्र परिवर्तन किया है। सूर्य गोचर की तरह नक्षत्र परिवर्तन भी प्रभावित करता है। भास्कर इस समय आर्द्रा नक्षत्र में हैं। वे 6 जुलाई तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। इस दौरान 3 राशियों पर उनकी कृपा बरसेगी।

सूर्य देव ने 22 जून को नक्षत्र परिवर्तन किया है। सूर्य गोचर की तरह नक्षत्र परिवर्तन भी प्रभावित करता है। भास्कर इस समय आर्द्रा नक्षत्र में हैं। वे 6 जुलाई तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। इस दौरान 3 राशियों पर उनकी कृपा बरसेगी। इससे पहले 15 जून को सूर्य ने मिथुन राशि में प्रवेश किया था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रवि जब आर्द्रा नक्षत्र में होते हैं। तब शुभ फल देते है। इस दौरान महादेव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि मैदिनी ज्योतिष के अनुसार वर्षा ऋतु का प्रबल कारक सूर्य तथा मौसम परिवर्तन का कारक बुध ग्रह अपनी राशि अथवा अपनी मित्र राशि में गोचर करते हैं, तो वर्षा का चक्र बनता है तथा उसी क्रम में बारिश की दशा तथा दिशा तय हो जाती है। पंचांगीय गणना के अनुसार 15 जून को सूर्य दोपहर 12.30 बजे वृषभ राशि को छोड़कर मिथुन राशि में प्रवेश करते ही वर्षा चक्र तैयार होगा। वहीं 1 जुलाई को बुध ग्रह भी मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे, इससे बारिश की स्थिति और भी श्रेष्ठ होगी।

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ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में 6 जुलाई तक रहेगा। इन 15 दिनों में आषाढ़ महीने का कृष्ण और शुक्ल पक्ष रहेगा। बुध की राशि में सूर्य होने और बुधवार को ही नक्षत्र परिवर्तन होने से इस बार बारिश से किसान और खेती से जुड़े बिजनेस करने वालों के लिए समय अच्छा रहेगा। ग्रंथों में कहा गया है कि जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है तो धरती रजस्वला होती है। यानी इसमें बीज बोने का सही समय होता है।

आर्द्रा नक्षत्र के देवता रुद्र
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि आर्द्रा नक्षत्र के देवता रूद्र हैं। जो कि आंधी, तूफान के स्वामी हैं। ये कल्याणकारी भगवान शिव का ही रूप हैं। इस नक्षत्र का स्वामी राहू है। जो कि धरती का उत्तरी ध्रुव भी है। इस नक्षत्र में जानवरों से जुड़े काम किए जाते हैं। ये उर्ध्वमुख नक्षत्र है। यानी इस नक्षत्र में ऊपर की ओर गति करने वाले काम किए जाते हैं। इसलिए जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में होता है तभी बीज बोए जाते हैं और खेती की शुरुआत होती है। आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य के आने से बारिश का मौसम शुरू हो जाता है।

बारिश के लिए खास है सूर्य का पर्जन्य नक्षत्र में प्रवेश
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि आर्द्रा नक्षत्र पर्जन्य नक्षत्र की श्रेणी में आता है। ज्योतिष शास्त्र में यह भी कहा जाता है कि आषाढ़ मास में इस नक्षत्र का प्रभाव सर्वत्र भूमंडल पर अलग प्रकार का होता है। यही नक्षत्र अगले चार माह वर्षा ऋतु के क्रम को निर्धारित करता है। यदि इस नक्षत्र में किसी ग्रह का दृष्टि भेद हो, तो खंड वृष्टि की स्थिति निर्मित होती है।

पांच ग्रह रहेंगे स्वराशि में
ग्रह गोचर की गणना से देखें तो आषाढ़ मास में पांच ग्रह स्वराशि में रहेंगे। इसमें प्रमुख रूप से मंगल मेष राशि, बुध मिथुन राशि, गुरु मीन राशि, शुक्र वृषभ राशि तथा शनि कुंभ राशि में गोचरस्थ रहेंगे। मंगल का मेष राशि में प्रवेश 27 जून को होगा, शुक्र 18 जून को वृषभ में जाएंगे, बुध का मिथुन में प्रवेश 1 जुलाई को होगा। इधर शनि व गुरु पहले से ही अपनी-अपनी राशि में गोचरस्थ हैं। इन पांच ग्रहों की उत्तम स्थित के कारण ही वर्षा ऋतु में सर्वत्र श्रेष्ठ बारिश के योग बन रहे हैं

सूर्य की चाल से ही बदलती हैं ऋतुएं
भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य किसी भी राशि में एक महीने तक रहता है। इस तरह 2 राशियां बदलने पर मौसम भी बदल जाता है। जैसे सूर्य जब वृष और मिथुन राशि में रहता है तब 15 मई से ग्रीष्म ऋतु शुरू हो जाती है। इसके बाद वर्ष ऋतु के दौरान कर्क और सिंह राशि में सूर्य रहता है। फिर कन्या और तुला राशि में जब सूर्य रहता है तो शरद ऋतु होती है। इसके बाद वृश्चिक और धनु राशि में सूर्य के चलते हेमंत और मकर-कुंभ में रहते हुए शिशिर ऋतु होती है। फिर मीन और मेष राशि में जब सूर्य होता है तो वसंत ऋतु रहती है।

संसार की आत्मा हैं सूर्य
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष और भारतीय संस्कृति में सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान सूर्य ऊर्जा के प्रतीक हैं और आरोग्य के कारक हैं। साथ ही भगवान सूर्य को संसार की आत्मा कहा जाता है और यह प्रकृति का केन्द्र हैं। सूर्य के नक्षत्र परिवर्तन के दिन साधु-संतों के साथ ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन कराकर व वस्त्र दान करने के साथ गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए। पक्षियों के लिए घौसले भी लगाने चाहिए। विष्णु और शिव की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बनी रहती है।

सूरज को अर्घ्य देने से बढ़ती है उम्र
कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में आने पर खीर-पूड़ी और कई तरह के पकवान बनाकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर पूजा और स्वागत करते हैं। मान्यता है कि इस परंपरा से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र भी बढ़ती है। आर्द्रा नक्षत्र पर राहु का विशेष प्रभाव रहता है। जो कि मिथुन राशि में आता है। जब सूर्य सूर्य इस नक्षत्र में होता है तब पृथ्वी रजस्वला होती है। ये नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है। इसे खेती के कामों में मददगार माना जाता है।

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