महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष पूजा और व्रत का पालन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
महाशिवरात्रि: शिव-पार्वती के पावन मिलन का दिन
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिव-पार्वती का दिव्य मिलन हुआ था। इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
कैसे करें महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा?
देवेश्वर महादेव मंदिर के महंत धर्मेश महाराज के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक की गई पूजा अत्यंत फलदायी होती है। इस दिन भक्तजन शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, गन्ने का रस और बेलपत्र चढ़ाते हैं। इन सभी वस्तुओं का धार्मिक महत्व होता है:
- जल से अभिषेक – पवित्रता और शुद्धिकरण का प्रतीक।
- दूध से अभिषेक – सुख-समृद्धि और शांति प्राप्ति के लिए।
- दही से अभिषेक – सौभाग्य एवं अच्छे स्वास्थ्य हेतु।
- शहद से अभिषेक – जीवन में मधुरता और सफलता के लिए।
- गन्ने के रस से अभिषेक – सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली के लिए।
बेलपत्र से शिवपूजन का महत्व
भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। यह त्रिपत्री रूप में अर्पित किया जाता है और इसे चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि व्रत एवं नियम
महंत धर्मेश महाराज के अनुसार, जो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करना चाहिए और पूरे दिन अन्न का त्याग करना चाहिए। व्रत के दौरान फलाहार या दूध का सेवन किया जा सकता है। इस दिन विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि मन को क्रोध, लोभ और मोह से दूर रखा जाए और शिवनाम का निरंतर स्मरण किया जाए।
रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन
महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है। इस दौरान भगवान शिव के मंत्रों और भजनों का पाठ किया जाता है। “ॐ नमः शिवाय” और “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
महाशिवरात्रि के विशेष लाभ
- भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
- रोग, दोष और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और इच्छित फल प्राप्त होता है।
- पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- दांपत्य जीवन में प्रेम और समृद्धि बनी रहती है।
महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का अवसर है। इस दिन शिव आराधना और व्रत का पालन करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और वह भगवान शिव की कृपा का पात्र बनता है।